विसंगति : डॉ. जगदीश प्रसाद सिंह | Visangati : By Dr. Jagdish Prasad Singh Hindi Book
विसंगति पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : ‘विसंगति’ की सभी कहानियाँ यथार्थवादी परम्परा की हैं और प्रत्येक कहानी में कुछ ऐसे प्रश्न उठाए गए हैं जिनका सम्बन्ध व्यक्ति या समाज या दोनों के वर्तमान और भविष्य से है। लेकिन इनमें प्रश्नों के उत्तर देने का या भविष्य के लिये दिशा-संकेत करने का कोई प्रयास नहीं है। इनका संसार वैश्वीकरण के युग में तेजी से बदलते मूल्यों का संसार है जहाँ उचित और अनुचित के निर्णय का सर्वमान्य मापदंड स्वार्थों की पूर्ति है। ये कहानियाँ पाठक के मस्तिष्क को झकझोरने और इनमें उठे प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए विवश करने का काम करती हैं।
लेखक ने इन कहानियों के माध्यम से मानव-मन की विभिन्न छवियों का जो कोलाज रचा है वह अनूठा है। इस पुस्तक में जातिवाद साम्प्रदायिकता, राजनीतिक विद्रूपता, सामाजिक न्याय, शोषण आदि विषयों के सहारे कहानियों का ताना-बाना बुना गया है।
संग्रह की सभी कहानियाँ रोचक हैं और पाठक का ध्यान अन्त तक बाँधे रहती हैं।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | विसंगति | Visangati |
| Author | डॉ. जगदीश प्रसाद सिंह / Dr. Jagdish Prasad Singh |
| Category | कहानी संग्रह / Story Collections Kahani Kahaniyan Book in Hindi PDF Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 168 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“जीवन न्यायोचित नहीं है, इसकी आदत डाल लीजिए।” बिल गेट्स
“Life is not fair; get used to it.” Bill Gates
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