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निष्कासन : दूधनाथ सिंग | Nishkasan : By Dudhnath Singh Hindi Book

निष्कासन : दूधनाथ सिंग | Nishkasan : By Dudhnath Singh Hindi Book
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निष्कासन पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : सुनील ने रिक्शा नुक्कड़ पर ही छोड़ दी। कुछ क्षण तक गली में दूर-दूर तक शोका गली खाली थी। बाएं हाथ में अटैची याने वह गर्दन झुकाए धीरे-धीरे घर की ओर कदम उठाने लगा। उसकी नजर दरवाजे पर पहली नेमप्लेट पर पड़ी। या विशम्भरनाथ कपूर सब पोस्टमास्टर फिर उसने दूसरी प्लेट की ओर झांका। कैप्टन सुनील कपूर सुनील को धक्का-सा लगा। अनायास उसका हाथ प्लेट को उखाड़ने के लिए उठ गया। लेकिन बाबूजों ने मेखे ठोंक उसे मजबूती से गाड़ रखा था उसकी आँखें सजल हो गई कि बाबू जी एक मुर्दा स्वप्न को अभी तक छाती से लगाए हुए हैं।
उसने दरवाजे को धीरे से दबाया ची की हल्की आवाज के साथ दोनों पटों में दरार पड़ गई। वह सहमा सा ठिठक गया कि इस समय दरवाजा क्यों खुला है यह सोच सुनील का तनाव कुछ कम हुआ कि शायद नियति की तरह बाबूजी अपनी मित्र-मंडली के साथ सैर के लिए गए होंगे दरवाजे के एक पट को पीछे धकेल सुनील, बिना कोई आवाज पैदा किए, ड्योढ़ी में चला गया।
आँगन खाली था। एक कोने में कुर्सी और मेज धरे थे। मेज पर चाय का खाली कप पड़ा था। सुनील ने दालान में शौका माँ अलमारी में सखी मूर्तियों के सामने शीश निया और हाथ जोड़े खड़ी थी। अलमारी से अगरबत्ती का महीन मुआँ चारों ओर सुगन्ध बिखेर रहा था।
कुछ क्षण मों की ओर ध्यान से देख, सुनील पीछे हट गया। उसने आहिस्ता से अटैची दीवार के साथ टिका दी और आंगन में दबे पाँव चक्कर लगा, कुर्सी पर बैठ टोंगे पसार आँखें मूंद लीं। उसके अन्दर थकावट और नींद का अहसास एकदम बढ़ गया। उसने बहुत जोर से अंगड़ाई ली तो मेज हिलने से खाली कप-प्लेट में हल्की-सी झनझनाहट पैदा हो गई।

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पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name निष्कासन | Nishkasan
Author
CategoryNovel Book in Hindi PDF
Language
Pages 152
Quality Good
Download Status Not for Download
“इतिहास के कई महानतम् व्यक्तियों ने अपने मूल पेशे से हट कर किये गए कृत्यों से प्रसिद्धि पाई जो उन्होंने अपने ऐसे कठिन समय में किये जिसे अधिकतर व्यक्ति यूं ही गवां देते।” ऑरिसन स्वेट मार्डेन
“Many of the greatest men of history earned their fame outside of their regular occupations in odd bits of time which most people squander.” Orison Swett Marden

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