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अकाल संध्या : रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा हिंदी पुस्तक | Akala Sandhaya : By Ramdhari Singh Diwakar Hindi Book

अकाल संध्या : रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा हिंदी पुस्तक | Akala Sandhaya : By Ramdhari Singh Diwakar Hindi Book
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name अकाल संध्या | Akala Sandhaya
Author
Category
Language
Pages 298
Quality Good
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अकाल संध्या पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : ग्रामीण जीवन के कुशल कथा – शिल्पी रामधारी सिंह दिवाकर का यह उपन्यास ‘अकाल सन्ख्या बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रहे गाँवों का प्रामाणिक दस्तावेज है ध्वस्त होती सामन्ती ग्रामीण व्यवस्था के बरअक्स जो नयी समाज- व्यवस्था उभर रही है, उसके शुभ-अशुभ पक्षों को कथाकार ने पूरी तन्मयता से उकेरा है स्थापित मान मूल्य टूट रहे हैं, लेकिन इनकी जगह जो नवी समाज व्यवस्था सामने आ रही है उसमें सामाजिक मूल्यों की वापसी के चिन्ताजनक संकेत परेशान करने वाले हैं जनतान्त्रिक चेतना से दीप्त और बदलाव के लिए बैचेन गाँव के इस नये मानस के अन्तर्विरोधों को कथाकार ने गहरी मानवीय संवेदना से चित्रित किया है।
उपन्यास में दलित- यथार्थ का यह अनुद्घाटित पक्ष भी खुल कर सामने आया है जिससे हम अक्सर आखें चुराते रहे हैं।
गाँव के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन से लेखक की गहरी आत्मीयता, सरोकार और संलग्नता का प्रमाण है यह उपन्यास इसकी एक बड़ी विशेषता है इसका कथा प्रवाह और कुछ ‘टिपिकल’ चरित्रों की सृष्टि डालडा सुराजी, महाबिर मियां, बीपी अकेला, खड़क झा आदि चरित्र स्मृति पर अमिट निशान छोड़ जाते हैं।

“इस धरा पर जैसा कोई विषय नहीं जो अरुचिकर हो; यदि ऐसा कुछ है तो वह एक बेसरोकार व्यक्ति ही हो सकता है।” ‐ जी.के.चेस्टरटन
“There is no such thing on earth as an uninteresting subject; the only thing that can exist is an uninterested person.” ‐ G. K. Chesterton

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