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गोलियों की भाषा : पुन्नी सिंह द्वारा हिंदी पुस्तक | Goliyon Ki Bhasha : By Punni Singh Hindi Book

गोलियों की भाषा : पुन्नी सिंह द्वारा हिंदी पुस्तक | Goliyon Ki Bhasha : By Punni Singh Hindi Book
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name गोलियों की भाषा | Goliyon Ki Bhasha
Author
Category, ,
Language
Pages 176
Quality Good
Download Status Not for Download

गोलियों की भाषा पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : मैं पहलवान की बग़ीची में पहुँचा, तब हीरा चाचा ‘मशीन’ की सूई में धागा डालने का काम कर रहे थे।
वे दाहिने हाथ के अंगूठे से थूक लगाते। फिर अँगूठे और तर्जनी के बीच में धागे का छोर लेकर उसे बँटते। उस धागे को सूई की नोंक तक बड़ी सावधानी से ले जाते। सूई के नकुवे में उतनी ही सावधानी से धागा डालने की कोशिश करते। जब उन्हें लगता कि सूई में धागा पड़ गया है, तो एक क्षण के लिये उनका चेहरा चमक जाता, लेकिन दूसरे ही क्षण बायें हाथ से धागे का छोर पकड़कर खींचते, तो पता लगता कि वह सूई के नकुबे में गया ही नहीं था। तब उनके चेहरे की खीज देखते बनती, लेकिन फिर भी वे सूई में धागा डालने की कोशिश जारी रखते।
मैं हीरा चाचा की बाल में तखत पर बैठा था। हम दोनों के ठीक सामने नीम के पेड़ की छाया में गाँव के कुछ छोकरे बैठे थे। वे आपस में कानाफूसी कर रहे थे। हमारी तरफ़ छिपे हुए इशारे करके मुस्करा रहे थे। उनमें से एक छोकरे को मैं पहचानता था। वह मेरे पड़ोसी गोपी धोबी का अट्ठारह उन्नीस साल का बहुत सुंदर छोकरा था। वह गहरे रंग का छींटदार तहमद और वैसे ही भड़कीले रंग की टीशर्ट पहने था। वह मेरी ओर देखता, तो थोड़ा सहम जाता, लेकिन जब हीरा चाचा की निगाह से उसकी निगाह मिलती, तो वह बहुत ही कँटीला मुस्कराता ।

“कभी कभी छोटे निर्णय भी जीवन को हमेशा के लिये बदल सकते हैं।” केरि रसैल
“Sometimes it’s the smallest decisions that can change your life forever.” Keri Russell

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