महारानी दुर्गावती : वृन्दावनलाल वर्मा | Maharani Durgavati : By Vrindavanlal Verma Hindi Book
पुस्तक के कुछ अंश : दुर्गावती उद्यान में घूमने लगी। फूलों पर अधर्मुदी बड़ी-बड़ी आँखें रिपट-रिपट सी जा रही थीं, पैंखुड़ियों की गिनती तो बहुत दूर की बात थी। कभी ऊँचे परकोटे पर दृष्टि जाती, कभी नीचे के परकोटे और ढाल पर, दूर के पहाड़ों पर और बीच के मैदानों के हरे-भरे लहराते खेतों पर दूर के जंगल में जैसे कुछ
टटोल रही हो, फुरेरू आती और नसें उमग पड़तीं। क्या ऐसे धनुष-बाण नहीं बनाए जा सकते, जिनसे कोस भर की दूरी का भी लक्ष्यवेध किया जा सके? हमारे कालंजर की फौलाद संसार भर में प्रसिद्ध है, यहाँ के खंग, भाले, तीर, छुरे युगों से ख्याति पाए हुए हैं। सुनते हैं, कभी चार हाथ लंबा तीर तैयार किया जाता था, जो हाथी तक को वेधकर पार हो जाता था। चंदेलों का वैभव फिर लौट सकता है, बघेले, बुंदेले और चंदेले मिलकर चलें तो सबकुछ कर सकते हैं; तुर्क, मुगल, पठान, सबको हरा सकते हैं। कैसे एक हाँ?
Click the link for more Hindi novel PDFs
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | महारानी दुर्गावती | Maharani Durgavati |
| Author | Vrindavanlal Verma |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 246 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“जो बीत गया है उसकी परवाह न करें, जो आने वाला है उसके स्वप्न न देखें, अपना ध्यान वर्तमान पर लगाएं।” बुद्ध
“Do not dwell in the past, do not dream of the future, concentrate the mind on the present moment.” Buddha
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें












