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चिट्ठियों के दिन : निर्मल वर्मा | Chitthyon Ke Din : By Nirmal Verma Hindi Book

चिट्ठियों के दिन : निर्मल वर्मा | Chitthyon Ke Din : By Nirmal Verma Hindi Book
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चिट्ठियों के दिन पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश :  निर्मल वर्मा जितना मौन पसन्द थे, उतना ही संवाद-प्रिय- इसे मानने के पर्याप्त कारण हैं, विशेषकर उनके पत्रों की इस तीसरी पुस्तक के अवसर पर एक आत्मीय स्पेस में लिखे गये ये पत्र अलग-अलग व्यक्तियों को लिखे जाने के बावजूद पारिवारिक ऊष्मा लिये हुए हैं। निस्संग रहते हुए भी निर्मल कितना दूसरों के संग थे, उनकी व्यावहारिक परिस्थितियों से ले कर उनकी सर्जनात्मक आकुलता तक, ये पत्र इसके साक्षी हैं। अधिकतर ये पत्र, विशेषकर रमेशचन्द्र शाह और ज्योत्स्ना मिलन के नाम, सन् अस्सी के दशक में लिखे गये पत्र हैं। यह वह दूसरी दुनिया थी, जो देखने पर बाहर से दिखायी नहीं देती। इसमें उनका अकेलापन था और अपनी व्यक्तिगत लेखकीय नियति का सामना करने की तैयारी।

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पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name चिट्ठियों के दिन | Chitthyon Ke Din
Author
CategoryHistory Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF
Language
Pages 230
Quality Good
Download Status Not for Download
“अपनों में दूसरों की रुचि जगाने का प्रयास कर आप जितने मित्र दस वर्षों में बना सकतें हैं, उससे कहीं अधिक मित्र आप दूसरों में अपनी रुचि दिखा कर एक माह में बना सकते हैं।” ‐ चार्ल्स ऐलन
“You can make more friends in a month by being interested in them than in ten years by trying to get them interested in you.” ‐ Charles Allen

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