राजकुमार की प्रतिज्ञा : यशपाल जैन द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Rajkumar Ki Pratigya : by Yashpal Jain Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | राजकुमार की प्रतिज्ञा / Rajkumar Ki Pratigya |
Author | Yashpal Jain |
Category | Audiobooks, उपन्यास / Novel |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 1:27 hrs |
Source | Youtube |
Rajkumar Ki Pratigya Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : यशपाल ने अनेक कहानियां लिखी थी । अचानक उन्हें इच्छा हुई कि बच्चों के लिए उपन्यास भी लिखना चाहिए और उन्होंने उपन्यास लिखना प्रारम्भ किया। लगभग सवा महीने में यह रचना पूरी हो गई। उपन्यास इतना रोचक है कि बच्चे इसे एक बार पढ़ना आरम्भ करेंगे तो बिना समाप्त किये छोड़ नहीं सकेंगे। लेखक की भाषा बड़ी सहज-सरल है और शैली में अपने ढंग का अनोखा प्रवाह है। यद्यपि इसे उन्होंने मुख्यत: बच्चे के लिए लिखा है, तथापि बड़े पढ़ेंगे तो उन्हें भी आनंद अनुभव हो । कहानी लेखक ने ऐसी चुनी है, जो छोटे-बड़े सबके लिए आकर्षक है।
पुराने जमाने की बात है। एक राजा था। उसके सात लड़के थे। छह का विवाह हो गया था। सातवाँ अभी कुँआरा था। एक दिन वह महल में बैठा था कि उसे बड़े जोर की प्यास लगी। उसने इधर-उधर देखा तो सामने से उसकी छोटी भाभी आती दिखाई दीं। उसने कहा, ‘भाभी, मुझे एक गिलास पानी दे दो।’ महल्न में इतने नौकर-चाकर होते हुए भी सबसे छोटे राजकुमार की यह हिम्मत कैसे हुई, भाभी मन-ही-मन खीज उठीं। उन्होंने व्यंग्य भरे स्वर में कहा, ‘तुम्हारा इतना ऊँचा दिमाग है तो जाओ, रानी पद्मिनी को ले आओ।’ राजकुमार ने यह सुना तो उसका पारा एकदम चढ़ गया। बोला, ‘जबतक मैं रानी पद्मिनी को नहीं ले आऊँगा, इस घर का अन्न-जन्र ग्रहण नहीं करूँगा।’ बात छोटी-सी थी, लेकिन उसने उग्र रूप धारण कर लिया। रानी पदमिनी काले कोसों दूर रहती थी। वहाँ पहुँचना आसान न था। रास्ता बड़ा दूभर था। जंगल, पहाड़, नदी-नाले, समुद्र, जाने क्या रास्ते में पड़ते थे, किंतु राजकुमार तो संकल्प कर चुका था और वह पत्थर की ल्कीर के समान था। उसने तत्काल वजीर के लड़के को बुलवाया और उसे सारी बात सुना कर दो घोड़े तैयार करवाने को कहा। वजीर के लड़के ने उसे बार-बार समझाया कि रानी पद्मिनी तक पहुँचना बहुत मुश्किल है, पर राजकुमार अपने हठ पर अड़ा रहा। उसने कहा, ‘चाहे कुछ भी हो जाए, बिना रानी पद्मिनी के मैं इस महल में पैर नहीं रखूँगा।’
दो घोड़े तैयार किए गए, रास्ते के खाने-पीने के लिए सामान की व्यवस्था की गई और राजकुमार तथा वजीर का लड़का रानी पद्मिनी की खोज में निकल पड़े। उन्होंने पता लगाया तो मालूम हुआ कि रानी पद्मिनी सिंहल द्वीप में रहती है, जहाँ पहुँचने के लिए सागर पार करना होता है। फिर रानी का महल्न चारों ओर से राक्षसों से घिरा है। उनकी किलेबंदी को तोड़ कर महल में प्रवेश पाना असंभव है वजीर के लड़के ने एक बार फिर राजकुमार को समझाया कि वह अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ दे अपनी जान को जोखिम में न डाले, किंतु राजकुमार ने कहा, ‘तीर एक बार तरकश से छूट जाता है तो वापस नहीं आता। मैं तो अपने वचन को पूरा करके ही रहूँगा।’ वजीर का लड़का चुप रह गया। दोनों अपने-अपने घोड़ों पर सवार हो कर रवाना हो गए। दोपहर को उन्होंने एक अमराई में डेरा डाला। खाना खाया, थोड़ी देर आराम किया, उसके बाद आगे बढ़ गए। चल्॒ते-चलते दिन ढलने लगा, गोधूलि की बेला आई। इसी समय उन्हें सामने एक बहुत बड़ा बाग दिखाई दिया। राजकुमार ने कहा, ‘आज की रात इस बाग में बिता कर कल तड़के आगे चल पड़ेंगे।”
“जो पुस्तकें आपको सबसे ज्यादा सोचने के लिये मजबूर करती हैं वही आपकी सबसे ज्यादा सहायता करती हैं।” थियोडोर पार्कर
“The books that help you the most are those which make you think the most.” Theodore Parker
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें