और एक युधिस्ठिर : बिमल मित्र | Aur Ek Yudhisthir : By Bimal Mitra Hindi Book
और एक युधिस्ठिर पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : ‘क व्यक्ति रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म के बिलकुल किनारे पर खड़ा था। दूसरी तरफ ए से एक ट्रेन आने ही वाली छोट शुरू में तो उस पर किसी की नजर ही नहीं पड़ी।
उस वक्त प्लेटफॉर्म पर लोगों का जंगल उगा हुआ था। ट्रेन आने से पहले हमेशा यही दृश्य नजर आता है। ट्रेन में भीड़ हो या न हो, सभी यात्री इस खटके से आशंकित रहते हैं कि ट्रेन में बैठने की जगह मिलेगी या नहीं।
यूँ पार्वतीपुर भी छोटा सा स्टेशन था। ब्रांच लाइन का सिर्फ छोटा सा रेलवे स्टेशन। दिन भर में गिनती की चंद ट्रेनें आती-जाती थीं। लोगों की इतनी भीड़ नहीं होनी चाहिए। लेकिन कभी-कभार जब इस तरफ कोई मेला ठेला लगता था, तब कुछ दिनों वहाँ खासी भीड़ लगी रहती थी। लड़के-लड़कियों, औरत-मर्द, बूढ़े बूढ़ियों का झुंड जानलेवा धक्का-मुक्की झेलते हुए मेले में पुण्य कमाने आता था।
दे।’
सभी लोग स्टेशन के झाड़ूदार द्वारा टन्न टन्न घंटा बजाने के इंतजार में थे।
अचानक स्टेशन मास्टर ने कहा, ‘ओ रे बैकुंठ लाइन क्लियर हो गई। घंटा बजा झाड़ूदार बैकुंठ स्टेशन मास्टर के हुक्म के इंतजार में ही था।
वह फटाफट उठ खड़ा हुआ और उसने घंटा बजा दिया।
टन टन टन – टन!
घंटे की आवाज सुनते ही प्लेटफॉर्म पर हलचल मच गई। अब देर नहीं, ट्रेन पिछला स्टेशन छोड़ चुकी है, घंटे की गूँज इसी बात का संकेत थी। यानी लगभग चार मिनट के अंदर ट्रेन पार्वतीपुर आ पहुँचेगी। सभी यात्री तैयार हो लिये हर यात्री के पास थोड़ा-बहुत सामान पत्तर था।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | और एक युधिस्ठिर | Aur Ek Yudhisthir |
| Author | Bimal Mitra, Sushil Gupta |
| Category | Entertainment Book in Hindi PDF Novel Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 198 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“अपनी बढ़ाई रण में जाते वक़्त नहीं बल्कि वापस आते वक़्त करें।” रूसी कहावत
“Do not praise yourself while going into battle; praise yourself coming out of battle.” Russian proverb
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