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हुस्न पर शायरी ऑनलाइन पढ़ें | Husn par Shayari PDF Download

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Husn par Shayari

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आज तारे कही जमीं पर ना उतर आएं
तेरे हुस्न को देखकर

बादलों ने भी गरजना शुरु कर दिया
तेरी ज़ुल्फों को देखकर

तू आई कहाँ से इतना तो बता
मेरी आँखें खुली की खुली रह गई तुझको देखकर

गुमान था जिन फूलों को अपनी सुन्दरता पर
आज वो बड़े चुप से हैं, तेरे होठों को देखकर

अपना चेहरा पर्दे में छुपा लो
कहीं चाँद भी न शरमा जाए तुझको देखकर

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा
– इफ़्तिख़ार नसीम

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है
उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है
– हैदर अली आतिश

न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम से
मोहब्बत जिस से हो बस वो हसीं है
– आदिल फ़ारूक़ी

अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत
नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत
– हैदर अली आतिश

हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ
दो घड़ी की चाहत में लड़कियाँ नहीं खुलतीं
– परवीन शाकिर

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
– मुनव्वर राना

आइना देख के कहते हैं सँवरने वाले
आज बे-मौत मरेंगे मिरे मरने वाले
– दाग़ देहलवी

शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
– फ़िराक़ गोरखपुरी

तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरत
हम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं
– इमाम बख़्श नासिख़

हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे
– बशीर बद्र

तिरे जमाल की तस्वीर खींच दूँ लेकिन
ज़बाँ में आँख नहीं आँख में ज़बान नहीं
– जिगर मुरादाबादी

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
– फ़रहत एहसास

फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे
पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत
– मीर तक़ी मीर

इतने हिजाबों पर तो ये आलम है हुस्न का
क्या हाल हो जो देख लें पर्दा उठा के हम
– जिगर मुरादाबादी

सुना है उस के बदन की तराश ऐसी है
कि फूल अपनी क़बाएँ कतर के देखते हैं
– अहमद फ़राज़

तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
तिरा हुस्न कुछ नहीं था मिरी शाइरी से पहले
– कैफ़ भोपाली

इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं
कि हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल है
– अकबर इलाहाबादी

जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम
उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
– अहमद नदीम क़ासमी

इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है
हुस्न ख़ुद बे-ताब है जल्वा दिखाने के लिए
– असरार-उल-हक़ मजाज़

तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है
– साहिर लुधियानवी

इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो ख़ुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर
– अल्लामा इक़बाल

कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं
शौक़-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर
– अमीर मीनाई

न पाक होगा कभी हुस्न ओ इश्क़ का झगड़ा
वो क़िस्सा है ये कि जिस का कोई गवाह नहीं
– हैदर अली आतिश

तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर
तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की
– असर लखनवी

उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन
देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं
– क़तील शिफ़ाई

जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें
ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही
– अमजद इस्लाम अमजद

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है
– कैफ़ भोपाली

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
– फ़िराक़ गोरखपुरी

ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्त
तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
– फ़िराक़ गोरखपुरी

निगाह बर्क़ नहीं चेहरा आफ़्ताब नहीं
वो आदमी है मगर देखने की ताब नहीं
– जलील मानिकपूरी

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं
वो रंग है ही नहीं जो तिरे बदन में नहीं
– फ़रहत एहसास

क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
– जिगर मुरादाबादी

बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम
मुझे पता चला वो कितनी ख़ूबसूरत है
– बशीर बद्र

हुस्न को शर्मसार करना ही
इश्क़ का इंतिक़ाम होता है
– असरार-उल-हक़ मजाज़

तुझ सा कोई जहान में नाज़ुक-बदन कहाँ
ये पंखुड़ी से होंट ये गुल सा बदन कहाँ
– लाला माधव राम जौहर

हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ
कि हैराँ देख कर आलम हमें भी हो तुम्हें भी हो
– बहादुर शाह ज़फ़र

हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
इश्क़ इक क़ुदरती ग़ुलामी है
– अब्दुल हमीद अदम

अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
– मुनीर नियाज़ी

चाँद से तुझ को जो दे निस्बत सो बे-इंसाफ़ है
चाँद के मुँह पर हैं छाईं तेरा मुखड़ा साफ़ है
– शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

हुस्न आफ़त नहीं तो फिर क्या है
तू क़यामत नहीं तो फिर क्या है
– जलील मानिकपूरी

रुख़-ए-रौशन के आगे शम्अ रख कर वो ये कहते हैं
उधर जाता है देखें या इधर परवाना आता है
– दाग़ देहलवी

अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का
– मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है
जिस ने डाली बुरी नज़र डाली
– आलमगीर ख़ान कैफ़

ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ी
सिमट के आ गए सब आप की अदाओं में
– कालीदास गुप्ता रज़ा

जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्ना
ख़त्म हो जाता है हर हुस्न कहानी की तरह
– ज़ेब ग़ौरी

तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़
लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़
– अहमद फ़राज़

हुस्न यूँ इश्क़ से नाराज़ है अब
फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे
– इफ़्तिख़ार आज़मी

मेरी निगाह-ए-शौक़ भी कुछ कम नहीं मगर
फिर भी तिरा शबाब तिरा ही शबाब है
– जिगर मुरादाबादी

हुस्न ये है कि दिलरुबा हो तुम
ऐब ये है कि बेवफ़ा हो तुम
– जलील मानिकपूरी

वो ख़ुश-कलाम है ऐसा कि उस के पास हमें
तवील रहना भी लगता है मुख़्तसर रहना
– वज़ीर आगा

अल्लाह-रे सनम ये तिरी ख़ुद-नुमाईयाँ
इस हुस्न-ए-चंद-रोज़ा पे इतना ग़ुरूर हो
– ख़्वाजा इमामी अमानी

महकते फूल सितारे दमकता चाँद धनक
तिरे जमाल से कितनों ने इस्तिफ़ादा क्या
– अहमद ख़याल

हुस्न और इश्क़ हैं दोनों काफ़िर
दोनों में इक झगड़ा सा है
– अज़ीम क़ुरैशी

शम्अ से चाँद सिवा चाँद से ख़ुर्शीद सिवा
और इन सब से सिवा है रुख़-ए-अनवर तेरा
– जलील मानिकपूरी

इश्क़ अब भी है वही महरम-ए-बे-गाना-नुमा
हुस्न यूँ लाख छुपे लाख नुमायाँ हो जाए
– फ़िराक़ गोरखपुरी

हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देता
हर किसी की नज़र नहीं होती
– इब्न-ए-इंशा

मुश्किल बहुत पड़ेगी बराबर की चोट है
आईना देखिएगा ज़रा देख-भाल के
– अमीर मीनाई

हम इतनी रौशनी में देख भी सकते नहीं उस को
सो अपने आप ही इस चाँद को गहनाए रखते हैं
– ज़फ़र इक़बाल

वो सुब्ह को इस डर से नहीं बाम पर आता
नामा न कोई बाँध दे सूरज की किरन में
– मुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल

वो चाँदनी में फिरते हैं घर घर ये शोर है
निकला है आफ़्ताब शब-ए-माहताब में
– जलील मानिकपूरी

अब तो तेरे हुस्न की हर अंजुमन में धूम है
जिस ने मेरा हाल देखा तेरा दीवाना हुआ
– जमील यूसुफ़

हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब
कोई पर्दा है न चिलमन ये कोई क्या जाने
– अर्श मलसियानी

आप क्या आए कि रुख़्सत सब अंधेरे हो गए
इस क़दर घर में कभी भी रौशनी देखी न थी
– हकीम नासिर

मुझी को पर्दा-ए-हस्ती में दे रहा है फ़रेब
वो हुस्न जिस को किया जल्वा-आफ़रीं मैं ने
– अख़्तर अली अख़्तर

जी चाहता है साने-ए-क़ुदरत पे हूँ निसार
बुत को बिठा के सामने याद-ए-ख़ुदा करूँ
– अमानत लखनवी

हर हक़ीक़त है एक हुस्न ‘हफ़ीज़’
और हर हुस्न इक हक़ीक़त है
– हफ़ीज़ बनारसी

हम इश्क़ में हैं फ़र्द तो तुम हुस्न में यकता
हम सा भी नहीं एक जो तुम सा नहीं कोई
– लाला माधव राम जौहर

बड़ा वसीअ है उस के जमाल का मंज़र
वो आईने में तो बस मुख़्तसर सा रहता है
– फ़रहत एहसास

आओ हुस्न-ए-यार की बातें करें
ज़ुल्फ़ की रुख़्सार की बातें करें
– चराग़ हसन हसरत

हुस्न भी कम्बख़्त कब ख़ाली है सोज़-ए-इश्क़ से
शम्अ भी तो रात भर जलती है परवाने के साथ
– बिस्मिल सईदी

हुस्न से अर्ज़-ए-शौक़ न करना हुस्न को ज़क पहुँचाना है
हम ने अर्ज़-ए-शौक़ न कर के हुस्न को ज़क पहुँचाई है
– जौन एलिया

वो तग़ाफ़ुल-शिआर क्या जाने
इश्क़ तो हुस्न की ज़रूरत है
– ख़ुर्शीद रब्बानी

किसी में ताब कहाँ थी कि देखता उन को
उठी नक़ाब तो हैरत नक़ाब हो के रही
– जलील मानिकपूरी

इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ
मेरी वफ़ा कहाँ गई उन की जफ़ा को क्या हुआ
– अब्दुल मजीद सालिक

देखूँ तिरे हाथों को तो लगता है तिरे हाथ
मंदिर में फ़क़त दीप जलाने के लिए हैं
– जाँ निसार अख़्तर

क्यूँ जल गया न ताब-ए-रुख़-ए-यार देख कर
जलता हूँ अपनी ताक़त-ए-दीदार देख कर
– मिर्ज़ा ग़ालिब

वो अपने हुस्न की ख़ैरात देने वाले हैं
तमाम जिस्म को कासा बना के चलना है
– अहमद कमाल परवाज़ी

ये हुस्न-ए-दिल-फ़रेब ये आलम शबाब का
गोया छलक रहा है पियाला शराब का
– असर सहबाई

कश्मीर की वादी में बे-पर्दा जो निकले हो
क्या आग लगाओगे बर्फ़ीली चटानों में
– साग़र आज़मी

शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नज़र आज
ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज
– दाग़ देहलवी

ये खुला जिस्म खुले बाल ये हल्के मल्बूस
तुम नई सुब्ह का आग़ाज़ करोगे शायद
– अफ़रोज़ आलम

दाग़-ए-जिगर का अपने अहवाल क्या सुनाऊँ
भरते हैं उस के आगे शम्-ओ-चराग़ पानी
– जोशिश अज़ीमाबादी

वो चेहरा हाथ में ले कर किताब की सूरत
हर एक लफ़्ज़ हर इक नक़्श की अदा देखूँ
– ज़फ़र इक़बाल

चाँद सी शक्ल जो अल्लाह ने दी थी तुम को
काश रौशन मिरी क़िस्मत का सितारा करते
– जलील मानिकपूरी

अफ़्सुर्दगी भी हुस्न है ताबिंदगी भी हुस्न
हम को ख़िज़ाँ ने तुम को सँवारा बहार ने
– इज्तिबा रिज़वी

दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने
एक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया
– नूह नारवी

आइना देख कर वो ये समझे
मिल गया हुस्न-ए-बे-मिसाल हमें
– बेख़ुद देहलवी

इस दिल में तिरे हुस्न की वो जल्वागरी है
जो देखे है कहता है कि शीशे में परी है
– जोश मलीहाबादी

अल्लाह अल्लाह हुस्न की ये पर्दा-दारी देखिए
भेद जिस ने खोलना चाहा वो दीवाना हुआ
– आरज़ू लखनवी

शोख़ी-ए-हुस्न के नज़्ज़ारे की ताक़त है कहाँ
तिफ़्ल-ए-नादाँ हूँ मैं बिजली से दहल जाता हूँ
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

न देखना कभी आईना भूल कर देखो
तुम्हारे हुस्न का पैदा जवाब कर देगा
– बेख़ुद देहलवी

ख़ूब-रू हैं सैकड़ों लेकिन नहीं तेरा जवाब
दिलरुबाई में अदा में नाज़ में अंदाज़ में
– लाला माधव राम जौहर

गूँध के गोया पत्ती गुल की वो तरकीब बनाई है
रंग बदन का तब देखो जब चोली भीगे पसीने में
– मीर तक़ी मीर

हम न कहते थे कि नक़्श उस का नहीं नक़्क़ाश सहल
चाँद सारा लग गया तब नीम-रुख़ सूरत हुई
– मीर तक़ी मीर

हुस्न को भी कहाँ नसीब ‘जिगर’
वो जो इक शय मिरी निगाह में है
– जिगर मुरादाबादी

तमाम मज़हर-ए-फ़ितरत तिरे ग़ज़ल-ख़्वाँ हैं
ये चाँदनी भी तिरे जिस्म का क़सीदा है
– इज़हार असर

हुस्न है काफ़िर बनाने के लिए
इश्क़ है ईमान लाने के लिए
– हैरत गोंडवी

हुस्न ओ इश्क़ की लाग में अक्सर छेड़ उधर से होती है
शम्अ की शोअ’ला जब लहराई उड़ के चला परवाना भी
– आरज़ू लखनवी

फूलों की सेज पर ज़रा आराम क्या किया
उस गुल-बदन पे नक़्श उठ आए गुलाब के
– आदिल मंसूरी

हुस्न आईना फ़ाश करता है
ऐसे दुश्मन को संगसार करो
– शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

तारीफ़ तेरे हुस्न की आती है ग़ैब से
मेरे क़लम के साथ तो यकसर नहीं हूँ मैं
– हिज्र मोमिन

शोरिश-ए-इश्क़ में है हुस्न बराबर का शरीक
सोच कर जुर्म-ए-तमन्ना की सज़ा दो हम को
– एहसान दानिश

हुस्न होता है किसी शय का कोई अपना ही
और फिर देखने वाले की नज़र होती है
– तरकश प्रदीप

अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता है
किसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे
– जलील मानिकपूरी

निस्बत फिर उस से क्या मह-ए-दाग़ी को दीजिए
सारे बदन में जिस के न हो एक तिल कहीं
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

ख़ुदा करे कि तिरे हुस्न को ज़वाल न हो
मैं चाहता हूँ तुझे यूँही उम्र-भर देखूँ
– मुस्तफ़ा ज़ैदी

आसमान और ज़मीं का है तफ़ावुत हर-चंद
ऐ सनम दूर ही से चाँद सा मुखड़ा दिखला
– हैदर अली आतिश

जल्वा-गर बज़्म-ए-हसीनाँ में हैं वो इस शान से
चाँद जैसे ऐ ‘क़मर’ तारों भरी महफ़िल में है
– क़मर जलालवी

हुस्न बना जब बहती गंगा
इश्क़ हुआ काग़ज़ की नाव
– इब्न-ए-सफ़ी

हैं लाज़िम-ओ-मलज़ूम बहम हुस्न ओ मोहब्बत
हम होते न तालिब जो वो मतलूब न होता
– जु’रत क़लंदर बख़्श

नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।

अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता,
तुम्हारे चेहरे को कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का,
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता।

शोख़ी से ठहरती नहीं क़ातिल की नज़र आज,
ये बर्क़-ए-बला देखिए गिरती है किधर आज।

होश-ओ-हवास पे काबू तो कर लिया मैंने,
उन्हें देख के फिर होश खो गए तो क्या होगा।

यह मुस्कुराती हुई आंखें,
जिनमें रक्स करती है बहार,
शफ़क की, गुल की, बिजलियों की,
शोखियां लिए हुए।

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा,
आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।

तरस गये आपके दीदार को,
दिल फिर भी आपका इंतज़ार करता है,
हमसे अच्छा तो आपके घर का आईना है,
जो हर रोज़ आपका दीदार करता है।

हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है,
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।

धीरे से लबों पे आया ये सवाल,
तू ज्यादा खूबसूरत है या तेरा ख्याल।

तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जायेगी,
चांद की भी कदम कम हो जायेगी।

फूलों से खूबसूरत कोई नहीं,
सागर से गहरा कोई नहीं,
अब आपकी क्या तारीफ करूं,
खूबसूरती में आप जैसा कोई नहीं..।

मेरा हर पल आज खूबसूरत हैं,
दिल में जो सिर्फ तेरी ही सूरत हैं,
कुछ भी कहे ये दुनिया गम नहीं,
दुनिया से ज्यादा हमें तेरी जरुरत है।

सुर्ख आंखों से जब वो देखते है,
हम घबराकर आँखे झुका लेते है,
क्यूं मिलाए उन आंखों से आखें,
सुना है वो आंखों से अपना बना लेते हैं।

इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको,
कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी।

कुछ अपना अंदाज है कुछ मौसम रंगीन हैं,
तारीफ करूं या चुप रहूं जुर्म दोनो ही संगीन हैं!

कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा,
ये दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा,
लोग कहते है चाँद का टुकड़ा तुम्हें,
पर मैं कहता हूं चांद भी टुकड़ा है तुम्हारा।

मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूं,
इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम।

तेरा अंदाज़-ए-संवरना भी क्या कमाल है,
तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूं।

हर बार हम पर इल्जाम लगा देते हो मुहब्बत का,
कभी खुद से भी पूंछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो!

मेरी हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की,
और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की,
शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है,
क्या जरूरत थी तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की।

तुम हक़ीकत नहीं हो हसरत हो,
जो मिले ख़्वाब में वही दौलत हो,
किस लिए देखती हो आईना,
तुम तो खुदा से भी ज्यादा खूबसूरत हो।

उनके हुस्न का आलम न पूछिये,
बस तस्वीर हो गया हूं, तस्वीर देखकर।

तेरी खूबसूरती की तारीफ में क्या लिखूं,
कुछ खूबसूरत शब्दों की अभी भी तलाश है मुझे।

देख कर तुमको यकीं होता है,
कोई इतना भी हसीं होता है।

ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज, ये निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।

हमदम तो साथ-साथ चलते हैं, रास्ते तो बेवफा बदलते हैं,
तेरा चेहरा है जब से आंखों में, मेरी आंखों से लोग जलते हैं।

तुझे पलकों पे बिठाने को जी चाहता है,
तेरी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,
खूबसूरती की इंतेहा हैं तू,
तुझे ज़िन्दगी में बसाने को जी चाहता है।

कैसे बयान करें सादगी अपने महबूब की,
पर्दा हमीं से था मगर नजर भी हमीं पे थी।

ये उड़ती ज़ुल्फें और ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूं तो दूसरी होश उड़ा देती है।

अभी इस तरफ़ न निगाह कर,
मैं ग़ज़ल की पलकें संवार लूं,
मेरा लफ़्ज़-लफ़्ज़ हो आईना,
तुझे आईने में उतार लूं।

रोज इक ताज़ा शेर कहां तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है।

कितना हसींन चांद सा चेहरा है,
उसपे शबाब का रंग गहरा है,
खुदा को यक़ीन ना था वफा पे,
तभी तो एक चांद पे हजारों तारों का पहरा है।।

बस इक लतीफ तबस्सुम बस इक हसीन नजर,
मरीजे-गम की हालत सुधर तो सकती है।

मोहब्बत हो टकरार हो,
जो न देखूं तेरा चेहरा तो दिल बेकरार हो,
समा ना सके किसी शब्दों में,
ऐसा हमारे बीच प्यार हो।

अंदाज़-ए-संवरना तेरा भी क्या कमाल है,
देखूं तो तुझे दिल धड़के अगर देखूं ना तो बेचैन रहूं।

क्या एक लाइन में तारीफ तेरी लिखूं,
जो देखे पानी भी तुझे तो, प्यासा हो जाये।

आंखें मुझसे चुरा कर जब मुस्कुराती हो तुम,
सुंदर को और ज्यादा सुंदर बना देती हो तुम।

हुआ है कुछ तो मेरी इन आंखों के साथ,
चेहरे से जो तुम्हारी यह हटती ही नहीं।

तेरी बिखरी जुल्फों के बीच जब चेहरा तुम्हारा दिखता है,
ऐसा लगता है मानो घने बादलों के पीछे से चांद नजर आता है।

एक फोटो, एक हसीन चेहरा,
जो मेरी हमेशा जहन में है,
भुलाऊं लाख उसे पर,
ख्वाबों पर मेरे ही उसकी हुकूमत है।

एक छोटी सी बिंदी उस हसीन चेहरे को और भी हसीन बना देती है,
एक छोटी सी उनकी मुस्कुराहट उस हसीन मुखड़े को और सजा देती है।

चाहत है सबको तो एक सिर्फ खूबसूरत चेहरे की,
दिल से दिल कभी खूबसूरत मिला कर तो देखो।

जब सामने तेरा चेहरा आया,
उसे देख मेरा दिल मुस्कुराया,
करता हूं उस खुदा का शुक्र,
जिसने मुझे तुझसे ऐसे मिलाया।

मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ करने वाले,
कोई हमारी मौत की अफवाह तो फैलाओ यारों।

क्या लिखूँ तेरी सूरत-ए-तारीफ में, मेरे हमदम,
अल्फाज खत्म हो गए हैं, तेरी अदाएँ देख-देख के।

ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूं,
मौत भी हो जाती है और कातिल भी पकड़ा नहीं जाता।

ये सोचकर रोक लेता हूँ कलम को,
तेरी तारीफ लिखते लिखते,
कि कहीं इन लफ़्ज़ों को सबसे बेहतरीन
होने का गुमान ना हो जाये।

ख्वाहिश ये बेशक नहीं कि तारीफ हर कोई करे,
मगर कोशिश ये जरूर है कि कोई बुरा ना कहे।

हिजर में कैफ-ऐ-इज़्तेराब न पूछ
खून-ऐ-दिल भी शराब होना था

एक लाइन में क्या तेरी तारीफ लिखूं
पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये

सभी तारीफ करते हैं,
मेरी शायरी की लेकिन
कभी कोई सुनता नहीं,
मेरे अल्फाजों की सिसकियाँ।

उनकी तारीफ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरी
अब शरीफ बन रहे हैं वो ऐसे जैसे गंगा नहाये हुए हैं

सोचता हूँ हर शायरी पे तेरी तारीफ करूं
फिर खयाल आया कहीं पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए।

तेरा हुस्न जब से मेरी आँखों में समाया है,
मेरी पलकों पे एक सुरूर सा छाया है,

मेरे चेहरे को हसीन नूर देने वाले,
ये तेरे दीदार के लम्हों का सरमाया है!
तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जाएगी
चाँद की भी कदर कम हो जाएगी

उसने तारीफ ही कुछ इस अंदाज से की मेरी,
अपनी ही तस्वीर को सौ दफ़े देखा मैंने!

खुशबू आ रही है कहीं से ताज़े गुलाब की..
शायद खिड़की खुली रह गई होगी उनके मकान की..

धीरे से सरकती है रात,
उसके आँचल की तरह,
उसका चेहरा नजर आता है,
झील में खिले कमल की तरह।

बिखर जाती है खुशबु सी, किसी की याद आते ही,
ना जाने कौन सावन बिन मौसम बरसता है।

हम तो फना हो गए उनकी आँखें देख कर ग़ालिब,
ना जाने वो आईना कैसे देखते होंगे।

पता है क्यों हर शाम,
चाँद आधा आता है,
क्योंकि वो भी तेरी खूबसूरती को देख कर शर्माता है।
तेरी आँखों के जादू से तू खुद नहीं है वाकिफ,
ये उसे भी जीना सीखा देता जिसे मरने का शौक हो।

अल्फाज नए हैं बात वही पुरानी है,
उनकी तारीफों में चल पड़ी कलम हमारी है।

ऐसी कोई तारीफ ही नहीं है,
जो तुम्हारी तारीफ कर सके।

सुना है लोग उसे आँख भर कर देखते हैं,
तो उसके शहर में कुछ दिन ठहर कर देखते हैं।

उसने महबूब की तारीफ कुछ इस कदर की,
रात भर आसमान में चाँद भी दिखाई न दी।

क्या लिखूं तेरी तारीफ-ए-सूरत में यार,
अलफ़ाज़ कम पड़ रहे हैं तेरी मासूमियत देखकर।

हम पर यूँ बार बार इश्क का इल्जाम न लगाया कर,
कभी खुद से भी पूछा है इतनी खूबसूरत क्यों हो।

गिरता जाता है चेहरे से नकाब अहिस्ता-अहिस्ता,
निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता।
कौन कहता है कि आपकी तस्वीर बात नहीं करती…!!!
हर सवाल का जवाब देती है बस आवाज़ नहीं करती…!!

आसमां में खलबली है सब यही पूछ रहे हैं,
कौन फिरता है ज़मीं पे चाँद सा चेहरा लिए।

मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही अब रातों को जागना अच्छा लगता है…..

इश्क़ के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आँखों में,
जहाँ देखे तू एक नजर वहाँ खुशबू बिखर जाए।

मैं इतनी अच्छी भी नहीं
जितनी तुम तारीफ कर जाते हो,
कहीं किसी और के हिस्से की
तारीफ चुरा के तो नहीं लाते हो।

तेरी तारीफ में ये जुबान कभी थकती नहीं,
तेरी नजरों से ये नजरें अब हटती नहीं।

दिल से कुछ लिखना चाहते हैं उनकी तारीफ में,
मगर लफ्ज़ हैं कि फीके पड़ जाते हैं आज की तारीख में।

मत मुस्कुराओ इतना,
कि फूलों को खबर लग जाए,
कि करे वो तुम्हारी तारीफ
और तुम्हें नजर लग जाए।

खुशबू आ रही है कहीं से ताजे गुलाब की,
शायद खिड़की खुली रह गई होगी उनके मकान की।

बड़ी फुर्सत से बनाया है तेरे खुदा ने तुझे,
वरना सूरत तेरी इस कदर ना चाँद से मिलती।

चाँद की चमक भी फीकी लगती है,
तू परियों से ज्यादा खूबसूरत दिखती है।

वो घर से बन संवर कर, जब कभी निकलते हैं
उनसे रौशनी लेकर सौ चिराग जलते हैं।

मेरी निगाहें बार-बार आकर रुक जाती हैं,
उसके हुस्न-ए-दीदार से ना जाने क्यों ये थम जाती हैं।

तेरे हुस्न को किसी परदे की जरूरत ही क्या है,
कौन रहता है होश में… तुझे देखने के बाद।

यूँ न निकला करो आज कल रात को,
चाँद छुप जाएगा देख कर आपको।

फूलों पर भी आजकल बहुत निखार है
हो भी क्यों नहीं इसे रोज
आपके खूबसूरत चेहरे का जो दीदार है

तेरी यादों की धूप में मेरा
यह खूबसूरत चेहरा मुरझा जाता है
तुझे याद करते करते
मेरा सारा वक्त गुजर जाता है

चांद भी मेरे आगोश में
समाना चाहता है
जब मेरे खूबसूरत चेहरे पर
चांदनी सा निखार आ जाता है।।

तेरा खूबसूरत चेहरा
सभी को बहुत भाता है
पर मेरे दिल को
तेरा सीरत ही लुभाता है।।

दुनिया के सारे गम
हम भूल जाते हैं
जब तेरे खूबसूरत चेहरे पर
प्यारी सी मुस्कान हम देख जाते हैं।।

कितने दिन हो गए हैं
ना बात करते हैं ना मुलाकात करते हैं
लगता है अब किसी और खूबसूरत
चेहरे के पीछे दीवाने हुआ करते हैं।।

चेहरे की खूबसूरती देखकर
वह समझते हैं बहुत खुश हैं हम
उन्हें क्या मालूम
दिल में कितना दर्द लिए फिरते हैं।।

बेमिसाल हो तुम,
तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर मैं क्या लिखूं
शायरी लिखूं या फिर गजल लिखूं।।

यह हंसता हुआ चेहरा
उन्हें बहुत भाता है
मेरा मुस्कुराना ही तो
उनके जीने की वजह बन जाता है।।

माना कि हम दिल की बात
जुबान से बयां कर दिया करते हैं
मगर तेरे चेहरे को देखकर ही
हम हाले दिल आंखों से बयां कर दिया करते हैं

हर शख्स की खूबसूरत चेहरे पर
ना जाया करो यारों
कुछ खूबसूरत चेहरे दिल के काले
भी हुआ करते हैं यारों।

काली जुल्फे, नशीली आंखें
खूबसूरत चेहरा नजाकत भरी हर अदाएं
उन्होंने भी कत्ल करने के सारे सामान हैं जुटाए।

तुम्हारी खूबसूरती के आगे
अल्फाज भी कम पड़ जाता हैं
जब भी तुझ पर कुछ लिखता हूं
कलम बेजुबान हो जाता है।

तुझ पर लिख पाना आसान
कहां होता है मेरे लिए
बस आंखें बंद करती हूं
और तेरे सादगी भरे चेहरे को याद कर लेती हूं।

माना कि खूबसूरत चेहरा
पहली नजर में शान है हमारी
मगर सीरत से ही
असली पहचान है हमारी।

किसी व्यक्ति से मिलने के बाद
उसकी खूबसूरत चेहरे को
याद रखे या ना रखे
परंतु उसके व्यवहार को हम जरूर याद रखते हैं।

खूबसूरत चेहरा और मासूम निगाहें
आओ हम चांद को उसकी औकात दिखाएं

उनके खूबसूरत चेहरे से
दुपट्टा जरा सर से जो सरकें
उनकी एक झलक पाकर
लाखों दीवाने अपने होश खो बैठे

अपने खूबसूरत चेहरे पर
नकाब ना डालो
अपने चाहने वाले को
चांद का दीदार करा डालो।

जैसे आसमान की सुंदरता बढ़ाने को चांद होता है,
वैसे ही उनके चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए काला तिल होता है।

वह हमारे खूबसूरती के
बहुत कदरदान हुआ करते थे
हजारों शायरियां मुझ पर ही
लिख डाला करते थे।

सावला सा रंग हो
और तीखे नैन नक्श हो
ऐसे खूबसूरत चेहरे पर तो
गोरा रंग भी दंग हो

तेरे इन मासूम चेहरे की
शादगी में, मैं इस कदर खो जाता हूं
जो बात कहने मै आता हूं
वह बात लिए दिल में ही चला जाता हूं

नकाब से चेहरा छुपा रखा था
उन्होंने इस कदर की
हवाओं ने भी जैसे जिद
पकड़ रखी हो उन्हें बेनकाब करने की
वह चाय की दीवानी है
और हम उनके खूबसूरत चेहरे के
दीवाने चलो दो दीवाने मिलकर
दीवानगी की हद पार करते हैं

उनके चेहरे पर मुस्कुराहट
लगती है ऐसे
काली बदली के बीच
चांद निकल आता हो जैसे

उनकी खूबसूरत चेहरे पर
उदासी लगती है ऐसे
बागों में फूल मुरझा गए हो जैसे

मेरी महबूब का हसीन चेहरा
मुझ पर ऐसा जादू करती है
एक पल भी उसे ना देखूं तो
सांसो की रफ्तार मंद पड़ जाती है

उनके चेहरे की खूबसूरती
फीकी पड़ जाती है
जब प्यारी सी महबूबा
मेरी उदास हो जाती है।
खूबसूरत चेहरे वाले अक्सर
मोहब्बत में धोखा दे जाते हैं
जिस्म से खेल कर
मुंह मोड़ जाते हैं

आज बादलों की ओंट से
चांद भी अठखेलियां कर रहा था
शायद वह भी मेरे महबूब के
हसीन चेहरे पर फिदा हो रहा था

यह तेरा खूबसूरत चेहरा और
अदा भी बड़ी हसीन है
तो क्यों ना मारे दीवाने तुझ पर
तू है ही ऐसी चीज है।

गमों की परछाई भी मुझसे
अब दूर जा रही थी
एक खूबसूरत नेक दिल चेहरे ने
खुदा से मेरी सलामती की दुआ जो मांगी थी

वह खूबसूरत सी चेहरे वाली
लड़की मेरे दिल को भा गई थी
उसके होठों पर काला तिल ही तो
मुझ पर कयामत ढा गई थी

मत कर इतना गुरुर खूबसूरत चेहरे पर
यह तो एक दिन ढल जाएगा
जो कद्र सीरत की करते हैं वही तेरा
जीवन भर साथ निभाएगा

ना तुम पास आती हो
और ना तू दूर जाती हो
बस बार-बार अपना यह खूबसूरत चेहरा
दिखा कर मुझे तड़पाती हो

हम बे इंतेहा प्यार करते हैं तुमसे और करते रहेंगे
तेरी खूबसूरत चेहरे से ज्यादा तेरे भोलेपन पर मरते रहेंगे

क्या बात है चेहरे पर पर
मुस्कुराहट लिए फिरते हो
कहीं दिल लगा बैठे हो या फिर
गम छुपाना सीख लिए हो

उदाशी कोई देख ना ले
इसलिए मुस्कुरा लेते हैं
चलो तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर
थोड़े शायरी बना लेते हैं

इश्क की आग में हम
दामन जलाएं बैठे है
एक खूबसूरत चेहरे वाली
बेवफा से हम दिल लगा बैठे हैं

सांसो की गलियों में खुशबू जैसे
हवा बनकर महक जाती है
वैसे ही, उस खूबसूरत हसीना के चेहरे पर
शर्म की लाली छा जाती है

तेरी यादों की खिड़की
जब-जब खुलती है मेरे दिल में
तेरे खूबसूरत चेहरे की एक झलक
देख लिया करते हैं हम

तेरे दिए तोहफों को मैंने
किताबों में सजा रखा है
फर्क बस इतना है फूल मुरझा कर सुख चुके
पर तेरा खूबसूरत चेहरा आज भी
तस्वीर में खिला हुआ रहता है

तुम मेरे रूह में कुछ इस तरह समा गए
जब भी देखती हूं आईना
तेरा खूबसूरत चेहरा ही नजर आ जाए

गमों की धूप में मैं
इस तरह झुलस गई
मेरे खूबसूरत चेहरे को ना जाने
किसकी नजर लग गई

बात करके जो सुकून
मेरे दिल को आता है
उनके खूबसूरत चेहरे को भी
देखकर भी लोगों सुकून नहीं आता है

सुबह-सुबह उनकी खूबसूरत
चेहरे का दीदार हो गया
फीकी सी चाय में शहद से मीठा हो गया

इसकी आगोश में यह दिल
समा जाना चाहता है
पर क्या करें उसकी खूबसूरत चेहरे
से नजर ही हटाया नहीं जाता है

मेरे महबूब के खूबसूरत चेहरे के
सामने चांद भी फीका जान पड़ता है
जब मेरा चांद मेरे सामने खड़ा है तो
दूजे चांद को कौन देखता है

मेरे ये मुझ पर शायरी लिखने बैठे हैं
दो अल्फाज लिखकर
फिर मेरे खूबसूरत चेहरे को देखा करते हैं

सुबह की किरणें तेरे
खूबसूरत चेहरे पर पड़ती है
तो लगता है ऐसे
शबनम से नहाकर मोती निकली हो जैसे

रूठे यार को मैं मनाऊं कैसे
कोई तो बताए, उसके
खूबसूरत चेहरे पर जो
छाई उदासी है उसे मैं हटाऊं कैसे

मेरी खूबसूरत चेहरे पर
जिसकी भी पड़ती है नजर
हाय! जान ले गई जानेमन
कहता हुआ हटाता नहीं है नजर

आज फिर उनसे बात हुई
कुछ नई तो कुछ पुरानी तकरार हुई
हम एक दूसरे को देख ना पाए तो क्या हुआ
चेहरे पर फिर वही पुरानी वाली मुस्कुराहट हुई

जब किसी अजनबी हसीना से
मुलाकात हो जाए
दिल को सुकून मिलता है जब
खूबसूरत चेहरे को
आंखों का बार-बार दीदार हो जाए

पहली नजर में ही जब
किसी से प्यार हो जाए
अल्लाह कसम पतझड़ में
भी बाहर आ जाए

जिंदगी इतनी भी खूबसूरत नहीं
जितना हम समझते हैं
बस कोई इतना बता दे यह
खूबसूरत चेहरे वाली लड़कियां
होती धोखेबाज क्यों हैं

मैं अकेली नहीं हूं
उसकी यादें साथ है
जब वक्त नहीं कटता तो
उसके खूबसूरत चेहरे को
याद कर लेती हर बार हूं

अपनी खूबसूरत चेहरे को
ब्लैकहेड्स और मुहांसे से चाहती है बचाना
तो गेहूं का आटा, शहद और विनेगर
को मिलाकर चेहरे पर लगाना

आज महक रही है मेरे घर की
हवाएं उनकी खुशबू से
और मुझ पर तो छा रहा है अलग ही
सुरूर उनके खूबसूरत चेहरे के जादू से

आज हवाओं में इत्र घूल रही है
लगता है उनके
खूबसूरत चेहरे पर जुल्फें डोल रही है
खूबसूरत चेहरा और खूबसूरत रंग
जैसे धरती पर उतर आई है
परियां चांद और सूरज के संग

जन्नत की परी की लगती हो तुम
अपनी हर अदा से
दिल बेकाबू करती हो तुम
अपने खूबसूरत चेहरे से
हर शै की रौनक बढ़ाती होती तुम

काली साड़ी में तुम पूर्णिमा की
चांद लगती हो
मेरे दिल की महफिल में
अपने चांद से चेहरे की नूर से
आग लगाती हो

यह शोखियां और यह मदमस्त अदाएं
कोई कैसे तेरे
खूबसूरत चेहरे से नजर हटाए

अदाओं की शोखी समेट लाई हूं
आंखों में थोड़ी मस्तियां और होटो पर
हंसी भी भर लाई हूं
अपने खूबसूरत चेहरे से नजर हटाने
नहीं दूंगी ऐसी शृंगार कर आई हूं

खूबसूरत चेहरा है जब
दुश्मन बन जाता है तो
खूबसूरती का पैमाना
बदसूरती में बदल जाता है

क्या है आपके खूबसूरत चेहरे का राज
हमें भी तो जरा बताएं, जनाब
हम भी जरा उन टिप्स को आजमाले
और अपने लिए कुड़ियों की लाइन लगा ले

गुलाब को फूलों का राजा
कहा जाता है क्योंकि
कुड़ियों की चेहरे की सुंदरता में
वही तो चार चांद लगाता है

चेहरे से बहुत खूबसूरत लगते हो आप
अगर अदाएं भी हो साथ में
तो बन जाए कुछ बात

रंग है, रूप है शारीरिक
सौंदर्य से भरपूर है
मेरी महबूबा के खूबसूरत चेहरे से
लेकर उसकी हर अदा में रियाज है

जाड़ों की नर्म धूप में मैं
तुम्हारे खूबसूरत चेहरे से
कुछ लाली लेकर
गरम ख्वाब बुन रही हूं मैं

कुछ रंगीन ख्वाब को अपनी
आंखों मे सजाएं
तेरे खूबसूरत चेहरे पर
मोहब्बत से लिखें हर लफ्ज़ की
खुशबू से चलो रिश्तो को महकाए

एक धुंध सी सुबह को बिखरीने वाली है
अपने खूबसूरत चेहरे का
ध्यान रखा कीजिए क्योंकि
सर्दियों की सरगोशियां शुरू होने वाली है

अपलक नैनों से निहारता
रह जाता हूं उसे, जब वह अपने
खूबसूरत चेहरे पर लहराते हुए
बालों को बार-बार हटाया करती है

एक तेरे सिवा किसी और को चाहा नहीं
एक तेरे ही खूबसूरत चेहरे को
दिल में बसा रखा है मैंने
ना जाने तुझ में कौन सी कशिश है
जो तेरे सिवा किसी और को देखा नहीं मैंने

जब जब तेरी खूबसूरत चेहरे पर
शायरी लिखता हूं
अंगुलियों की रफ्तार बढ़ जाती है
धड़कन ही बेकाबू हो जाती है

इश्क में दिल टूटा कोई बात नहीं
चलो फिर किसी खूबसूरत चेहरे
वाली बेवफा को तलाशा जाए
और प्यार में फिर चोट खाया जाए।

काश खुदा ने इतना खूबसूरत चेहरे के बदले
खूबसूरत दिल दिया होता तो
आज तुझे मेरे दर्द का अंदाजा होता।

बांध लूं दिल को तेरी, अपनी चाहत से कहीं
किसी और का तलबगार ना हो जाए
किसी खूबसूरत चेहरे वाली हसीनाओं
के नजरों का शिकार ना हो जाए।

दिल को तसल्ली रहती है
जब तुझ से बात हो जाती है
बस तेरी खूबसूरत चेहरे के लिए ही
यह नजर बेकरार रहती है।

यह दिल का मकान
आज खाली है
किसी खूबसूरत चेहरे वाले स्थायी
हसीना की तलाश जारी है।

पतझड़ में भी बाहर आ जाता है
जब तेरे फूल जैसे खूबसूरत चेहरे पर
बसंत सा निखार आ जाता है।

चेहरा क्या देखते हो कभी दिल में भी
उतर कर देखो ना
थोड़ा और करीब आकर
इस बेचैन दिल को थोड़ा सा
चैन दे कर देखो ना।

प्यार आपका हमारे दिल में है
हजारों चेहरे में से एक
तेरा चेहरा मेरी आंखों में है
भूलना भी चाहें तो तुझे कैसे भुलाए
तुम तो मेरी रगों में दौड़ती खून में शामिल है।

तेरी खूबसूरत चेहरे से होकर हवा
जब-जब मुझ तक पहुंचती है
मुझ पर एक मदहोशी
सी छा जाती है।

तेरे खूबसूरत चेहरे ने बिन माचिस की
तीली के आग लगा रखा है
मुहल्ले भर के लड़कों का
जीना मुहाल कर रखा है।

जिस दिन हम मिलेंगे
तेरी हर शिकायत दूर करेंगे
कसकर गले से भी लगाएंगे और
तेरे खूबसूरत चेहरे को भी चूंमेंगे।

जब से आपके खूबसूरत
चेहरे को देखा है यह
चांद भी सहम कर बादलों की
ओट में छिप गया है।

मेरी आंखों को शिकायत है मुझसे
क्यों तेरा यह खूबसूरत चेहरा
मैं देखता रहता हूं और
नींद को कोसों दूर ले जाता हूं।

जब तू हद से ज्यादा मेरे करीब आता है
मेरी सोई हुई जज्बातों को जगा कर
अपने चेहरे के मासूमियत से
मुझे दीवाना बनाता है तो सच कहती हूं
हमेशा के लिए तेरा हो जाने को जी चाहता है।

बंया करूं भी तो कैसे हाल-ए-दिल आपको
एक तेरे खूबसूरत चेहरे के सिवा
निगाह कहीं और जाती ही नहीं।

प्यार भरे लफ्ज़ को लिखूं या
फिर खामोशी को
तेरी आंखों के सुरूर को लिखूं
या फिर तेरे खूबसूरत चेहरे के नूर।

सनम तेरे खूबसूरत चेहरे पर
पड़ी जुल्फें हटा दूं
अगर इजाजत हो तो अपने नजरों की
थोड़ी सी प्यास बुझा लूं।

अपने खूबसूरत चेहरे पर,
यूं ना जुल्फें लहराओ।
यह हवाएं भी खामोश,
मोहब्बत किया करती हैं।

यह बारिश की बूंदे आपके
खूबसूरत चेहरे को छूकर जब
आपके दिल में उतर जाती है
यह देख कर मुझे बूंदों से भी जलन सी होती है।

नजरें झुका कर उठाया ना करो
अपने दांतों से होठों को यूं दबाया ना करो
अपनी अदाएं दिखाकर
खूबसूरत चेहरे को यूं छुपाया ना करो।

शराब में वह बात कहां जो
उनके खूबसूरत चेहरे में है
जब से देखा है उनको
खुदा कसम बड़ा ही बुरा हाल है।

नींद से क्या शिकवा करूं मैं जो रात भर आती नहीं,
कसूर तो उस चेहरे का है जो रात भर सोने नहीं देता !

अब क्या लिखूं तेरी तारीफ में मेरे हमदम,
अलफाज कम पड़ जाते हैं तेरी मासूमियत देखकर !

अल्फाज खुशी दे रहे थे मुझे और,
वो मेरे इश्क की तारीफ कर रही थी !!

मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ,
मेरी नजरों में हसीन वो है जो तुम जैसा हो !

तुम्हारे गालों पर एक तिल का पहरा भी जरूरी है,
डर है कि इस चेहरे को किसी की नजर न लग जाए !!

ख्वाहिश ये नहीं की मेरी तारीफ हर कोई करे,
बस कोशिश ये है की मुझे कोई बुरा न कहे !!

मासूम सी सूरत तेरी दिल में उतर जाती है,
भूल जाऊं कैसे मैं तुझे,
तू मुझे हर जगह नजर आती है !

देख कर तेरी आँखों को मदहोश मैं हो जाता हूँ !
तेरी तारीफ किए बिना मैं रह नहीं पाता हूँ !

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है,
उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है !!

लोग मेरी शायरी की तारीफ कर रहे हैं !
लगता है दर्द अच्छा लिखने लगी हूं मैं !

अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत !
नजर से गिर गए सब खूबसूरत !

तेरे हुस्न का दीवाना तो हर कोई होगा,
लेकिन मेरे जैसी दीवानगी हर किसी में नहीं होगी !

मुझे देखकर शर्म से नजरें चुरा लेती है वो,
उसे बेवफा न समझ लूं इसलिए,
चेहरे से जुल्फों को हटा जरा सा मुस्कुरा देती है वो !

यह तेरा हुस्न और ये अदाएं तेरी,
मार जाते हैं इन्हें देख मुहल्ले के सारे आशिक,
उतर आते हैं ।

बेवफाई की तारीफ मैं क्या करूं !
वो जहर भी हमें किस्तों में देते रहे !

तारीफ क्या करू मैं तुम्हारी क्यूंकि,
तुम्हीं एक तारीफ हो !

ढाया है खुदा ने जुल्म हम दोनों पर,
तुम्हें हुस्न देकर मुझे इश्क देकर !

रोज इक ताजा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए,
तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है !

तू भी मेरे दिल के लाइब्रेरी की वो डायरी है,
जिसे हम पढ़ना कम और देखना,
ज्यादा पसंद करते हैं ।

मत मुस्कुराओ इतना कि फूलों को खबर लग जाए,
कि करे वो तुम्हारी तारीफ,
और तुम्हें नजर लग जाएँ !

तू बेमिसाल है तेरी क्या मिसाल दूं !
आसमां से आई है, यही कह के टाल दूं !

और भी इस जहां में आएंगे आशिक कितने,
उनकी आंखों को तुमको देखने की हसरत रहे !

रात भर करता रहा तेरी तारीफ चाँद से,
चाँद इतना जला कि सुबह तक सूरज हो गया !

तुम्हे देख के ऐसा लगा चाँद को जमीन पर देख लिया,
तेरे हुस्न तेरे शबाब में सनम हमने कयामत को देख लिया !

खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता है,
जाने कब कौन जिंदगी का हिस्सा बन जाता है,
कुछ लोग जिंदगी में ऐसे मिलते हैं जिनसे,
कभी ना टूटने वाला रिश्ता बन जाता है !

वो हाल मेरा पूछने आए जरूर थे मगर,
अपनी निगाहों में वही पुराना गुरूर लिए हुए।

नशीली आँखों से वो जब हमें देखते हैं,
हम घबराकर आँखें झुका लेते हैं,
कौन मिलाए उनकी आँखों से आँखें सुना है,
वो आँखों से अपना बना लेते हैं !

मेरे दिल के धड़कनों की वो जरूरत सी है,
तितलियों सी नाजुक परियों जैसी खूबसूरत सी है !

कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं,
चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मैं !

मैं तुम्हारी सादगी की क्या मिसाल दूँ
इस सारे जहां में बे-मिसाल हो तुम !

खूबसूरत हो इसलिए मोहब्ब्त नहीं है,
मोहब्बत है इसलिए खूबसूरत लगती हो !

देख कर खूबसूरती आपकी चांद भी शर्मा रहा है,
तू कितनी खूबसूरत है यही फरमा रहा है !

तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो,
आ जाएगा पलट कर फिर गुजरा हुआ जमाना !

तुम्हारी खूबसूरती का कोई जवाब नहीं,
इसे शब्दों में बयां करना इतना आसान नहीं।

मुस्कुराते हैं तो बिजलियाँ गिरा देती हैं
बात करते हैं तो दीवाना बना देती हैं
हुस्न वालों की नजर कम नहीं कयामत से
आग पानी में वो नज़रों से लगा देती हैं!!!

मेरे लफ्जों में हैं तारीफ़ एक चेहरे की
मेरे महबूब की मुस्कुराहट से चलती हैं शायरी मेरी!!!

इक खूबसूरत चेहरे के सताए हुए हैं
तीर नजरों के दिल पर खाए हुए हैं!!!
तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो
जाएगी चाँद की भी कदर कम हो जाएगी!!!

वो रेश्मी जुल्फे और गुलाबी होंठ आप ही बताओ
ये आशिक मोहब्बत ना करता तो क्या करता!!!

फूलों सा कोमल चेहरा तेरा तू संगमरमर की मूरत है
तेरे हुस्न की क्या तारीफ करूँ तू इतनी खूबसूरत है!!!

पाँव उठा कर गले मिलती हैं मुझसे
मोहतरमा कद में छोटी जो हैं मुझसे!!!

धीरे से लबो पे आया ये सवाल
तू ज्यादा खूबसूरत या तेरा ख्याल!!!

ऐसा चेहरा है तेरा जैसा रोशन सवेरा
जिस जगह तू नहीं है उस जगह है अँधेरा
कैसे फिर चैन तुझ बिन तेरे बदनाम लेंगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे!!!

फूलों से खूबसूरत कोई नहीं सागर से गहरा
कोई नहीं अब आपकी क्या तारीफ करूँ खूबसूरती
में आप जैसा कोई नहीं!!!

खूबसूरत हो तुम बड़ी नाजुक हो तुम शायद
बड़ी नजाकत से बनाया होगा खुदा ने तुम्हें
हुस्न की मल्लिका हो तुम!!!

मैंने चेहरे हजार देखे हैं अदाएं भी बेशुमार
देखी हैं सादगी तेरी जैसी पर कही देखी नहीं
मैंने घूम कर हर बाजार देखे हैं!!!

तारीफ करूँ क्या तेरी,
कुछ अल्फ़ाज ही ना मिले,
जब से देखा है तुझको
दिल में अरमान है जगे.

दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे,
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे.

जब मैंने चाँद को अपनी चाँद दिखाया,
रात में निकला पर हुस्न पर नहीं इतराया.

निगाह उठे तो सुबह हो,
झुके तो शाम हो जाएँ,
एक बार मुस्कुरा भर दो
तो कत्ले-आम हो जाएँ।

तेरे हुस्न का दीवाना तो हर कोई होगा
लेकिन मेरे जैसी दीवानगी हर किसी में नहीं होगी।

यू तारीफ ना किया करो मेरी शायरी की
दिल टूट जाता है मेरा जब तुम मेरे दर्द पर वाह-वाह करते हो

मुझको नहीं जरूरत किसी कलम की
तेरी तारीफ बयां करने के लिए

तेरी अदाएं,
तेरे ये नाजनीन से अन्दाज़,
अपनी अदा आप रखते हैं

क्या तुझे कहूं तू है मरहबा.
तेरा हुस्न जैसे है मयकदा

मेरी मयकशी का सुरूर है,
तेरी हर नजर तेरी हर अदा

तेरा हुस्न एक जवाब,
मेरा इश्क एक सवाल ही सही

तेरे मिलने की ख़ुशी नहीं,
तुझसे दूरी का मलाल ही सही

तू न जान हाल इस दिल का,
कोई बात नहीं
तू नहीं जिंदगी में तो तेरा ख़याल ही सही

सोचता हूँ हर कागज पे
तेरी तारीफ करूँ,
फिर खयाल आया कहीं पढ़ने वाला भी
तेरा दीवाना ना हो जाए।

ना चाहते हुए भी आ जाता है लबों पे
तेरा नाम…
कभी तेरी तारीफ में तो कभी तेरी
शिकायत में…

मुझको मालूम नहीं हुस़्न की तारीफ,
मेरी नज़रों में हसीन ‘वो’ है,
जो तुम जैसा हो

प्यार से जो मैंने घूँघट चाँद पर से हटाया था
प्यार का रंग भी उतरकर उसके चेहरे पर आया था
तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा,
चाँद कहता रहा मैं चाँद हूँ…
मैं चाँद हूँ…

शायद तुझे खबर नहीं ए शम्मे-आरजू,
परवाने तेरे हुस्न पे कुरबान गये हैं…!

क्या लिखूँ तेरी सूरत-ए-तारीफ में,
मेरे हमदम
अल्फाज खत्म हो गए हैं,
तेरी अदाएँ देख-देख के

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name हुस्न पर शायरी ऑनलाइन पढ़ें | Husn par Shayari PDF Download
CategoryBest Shayari PDF Books in Hindi
Language
Pages 64
Quality Good
Size 438 KB
Download Status Available
“अगर सफलता का कोई राज़ है, तो वह दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और चीजों को उसके दृष्टिकोण से अपने दृष्टिकोण जितने अच्छे से देख पाने की क्षमता में निहित है।” हेनरी फोर्ड
“If there is one secret of success, it lies in the ability to get the other person’s point of view and see things from that person’s angle as well as from your own.” Henry Ford

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