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पानी पर शायरी ऑनलाइन पढ़ें | Paani par Shayari PDF Download

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Paani par Shayari

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जल का कोई मूल्य नहीं होता है,
कभी प्यासे से पूछना ये तो अमूल्य होता है।

जब सारी नदियाँ और कुएँ सूख जाएँगे,
तब शायद इंसान पानी की कीमत समझ पाएँगे।

हर कोई जल बचा सकता है,
बूँद-बूँद से सागर बना सकता है।

पानी की कीमत अब लोग समझने लगे हैं,
जबसे पानी बंद बोतलों में बिकने लगे हैं।

प्यास इंसान के सामने आईने रखती है,
पानी की हर एक बूँद मायने रखती है।

अपने बच्चों को पानी बचाना सिखाओ,
या तो पानी बिना जीने की तरकीब बताओ।

शुष्क नहर, झीलें, नदी, इनकी गुहार सुनो,
जल के बिन जल जाएगा ये सारा संसार।

जानों क्या है असली सोना,
इंसान की मूर्खता है पानी को खोना।

यदि आज पानी नहीं बचाओगे,
तो कल प्यासे ही मर जाओगे।

जरूरत अनुसार पानी का कीजिए उपयोग,
जल बचाव में आपका होगा सहयोग।

इस दुनिया के हैं देवता तीन,
बचा लो जल, जंगल और जमीन।

जख्म सूखा और धरा को हरा होना चाहिए,
पानी आँखों से नहीं, नदियों में बहना चाहिए।

सूखे दरिया का पानी हूँ साहब,
मैं रोता हूँ, फिर भी नहीं बहता।

जो गुजर गया है उसे याद न कर,
बेवजह पानी को तू यूँ बर्बाद न कर।

जल जीवन का निर्माण करने वाला अनमोल तत्व है,
जल संसाधनों को बचाना, जीवन को बचाना है।

यदि आप शिक्षित हैं और जागरूक हैं,
पानी को बर्बाद न करें और सभी को जागरूक करें।

मुझे शहर से अच्छा गाँव दिखता है,
जहाँ आज भी शुद्ध पानी मिलता है।

शहर में जमीनों के दाम क्यों बढ़ रहे हैं,
ना तो शुद्ध हवा ना तो शुद्ध जल मिल रहे हैं।

तुम उस के पास हो जिस को तुम्हारी चाह न थी
कहाँ पे प्यास थी दरिया कहाँ बनाया गया
~ यासिर ख़ान इनाम

वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था
पानी पानी कहते कहते डूब गया है
~ आनिस मुईन

वो मजबूरी मौत है जिस में कासे को बुनियाद मिले
प्यास की शिद्दत जब बढ़ती है डर लगता है पानी से
~ मोहसिन असरार

उस से कहना कि धुआँ देखने लाएक़ होगा
आग पहने हुए जाउँगा मैं पानी की तरफ़
~ अभिषेक शुक्ला

उबलते वक़्त पानी सोचता होगा ज़रूर
अगर बर्तन न होता तो बताता आग को
~ अश्वनी मित्तल ‘ऐश’

हँसता पानी रोता पानी
मुझ को आवाज़ें देता था
~ नासिर काज़मी

दोस्तो ढूँड के हम सा कोई प्यासा लाओ
हम तो आँसू भी जो पीते हैं तो पानी की तरह
~ वाली आसी

हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देख
~ मोहम्मद अल्वी

क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा
पानी में है क्या और भी पानी से ज़ियादा
~ अबरार अहमद

वो धूप थी कि ज़मीं जल के राख हो जाती
बरस के अब के बड़ा काम कर गया पानी
~ लईक़ आजिज़

अनगिनत सफ़ीनों में दीप जगमगाते हैं
रात ने लुटाया है रंग-ओ-नूर पानी पर
~ अक़ील नोमानी

पानी ने जिसे धूप की मिट्टी से बनाया
वो दाएरा-ए-रब्त बिगड़ने के लिए था
~ हनीफ़ तरीन

ख़ाक हूँ उड़ता हूँ सच है कि मैं आवारा-मिज़ाज
पानी होता भी तो सैलाब में देखा जाता
~ मुकेश आलम

जिन्हें हम बुलबुला पानी का दिखते हैं कहो उन से
नज़र हो देखने वाली तो बहर-ए-बे-कराँ हम हैं
~ सदा अम्बालवी

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
– बशीर बद्र

ऐसी प्यास और ऐसा सब्र
दरिया पानी पानी है
– विकास शर्मा राज़

दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़
– शबाब ललित

अगर ऐ नाख़ुदा तूफ़ान से लड़ने का दम-ख़म है
इधर कश्ती न ले आना यहाँ पानी बहुत कम है
– दिवाकर राही

किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
– आरज़ू लखनवी

हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं
पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं
– नूह नारवी
अंदर अंदर खोखले हो जाते हैं घर
जब दीवारों में पानी भर जाता है
– ज़ेब ग़ौरी

हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता है
प्यास का ज़ाइक़ा पानी की तरह होता है
– फ़ैसल अजमी

मैंने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
– राहत इंदौरी

बदन के दोनों किनारों से जल रहा हूँ मैं
कि छू रहा हूँ तुझे और पिघल रहा हूँ मैं
– इरफ़ान सिद्दीक़ी

मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा
तेरा वादा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा
– साहिर लुधियानवी

उस से कहना की धुआँ देखने लाएक़ होगा
आग पहने हुए मैं जाऊँगा पानी की तरफ़
– अभिषेक शुक्ल
क्या कहा दोस्त समझना है तुम्हें प्यार नहीं
यानी बस देखना है पानी को पीना नहीं है
– नीरज नीर

ये पानी ख़ामुशी से बह रहा है
इसे देखें कि इस में डूब जाएँ
– अहमद मुश्ताक़

कतराते हैं बल खाते हैं घबराते हैं क्यूँ लोग
सर्दी है तो पानी में उतर क्यूँ नहीं जाते
– महबूब खिज़ान

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा
– कैफ़ी आज़मी

तेरे चुप रहने से हर पौधा सूख गया है
तुझको मालूम नहीं पौधों का पानी है तू
– कबीर अल्तमाश

तुमसे बिछड़े फिर भी साँसे चलती हैं
मछली पानी के बाहर भी जिंदा है
– तनोज दधिच

गुजर चुकी जुल्मते शब-ए-हिज्र, पर बदन में वो तीरगी है
मैं जल मरुंगा मगर चिरागों के लो को मध्यम नहीं करूंगा

याह अहद लेकर ही तुझ को सौंपी थी मैंने कलबौ नज़र की सरहद
जो तेरे हाथों से कत्ल होगा मैं उस का मातम नहीं करूंगा

जो यहाँ ख़ुद ही लगा रक्खी है चारों जानिब
एक दिन हम ने इसी आग में जल जाना है
– ज़फ़र इक़बाल

गिले शिकवे ज़रूरी हैं अगर सच्ची मुहब्बत है
जहाँ पानी बहुत गहरा हो थोड़ी काई रहती है
– मुनव्वर राना

आँख वो इक शहर जिसमें दम घुटेगा
दिल में रहना घर में रहने की तरह है
– नीरज नीर

ये नदी वर्ना तो कब की पार थी
मेरे रस्ते में अना दीवार थी

आप को क्या इल्म है इस बात का
ज़िंदगी मुश्किल नहीं दुश्वार थी

तीन कमाने दुश्मनों के हाथ में
और मेरे हाथ में तलवार थी

जल गए एक रोज़ सूरज से चराग़
रौशनी को रौशनी दरकार थी

आज दुनिया के लबों पर मुहर है
कल तलक हाँ साहिब-ए-गुफ़्तार थी
– अज्ञात

पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
– बशीर बद्र

उलटे सीधे सपने पाले बैठे हैं
सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं
– शकील जमाली

भूके बच्चों की तसल्ली के लिए
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
– नवाज़ देओबंदी

जल चुका है जिस्म मेरा राख हूँ मैं
पर मुझे अब भी मिली राहत नहीं है
– शशांक शेखर पाठक

तुम्हें लहू से तो ख़त लिख नहीं सके लेकिन
लिखी है आँख के पानी से शायरी तुम पर
– मन्मौजी

रोते बच्चे पूछ रहे हैं मम्मी से
कितना पानी और मिलाया जाएगा
– दिव्य कमलध्वज

किस तरह यह आपकी आँखों में पानी आ गया
याद जस्सर आपको भी कोई यानी आ गया
– अवतार सिंह जस्सर

उस ने फेंका मुझ पे पत्थर और मैं पानी की तरह
और ऊँचा और ऊँचा और ऊँचा हो गया
– कुँवर बेचैन

तुम मेरे वो लगते हो जो कोई नइँ
हो गई मैं अमृता सी प्यार में
– नीरज नीर

चूमने की रस्म बाक़ी है अभी भी
डर है पहले देह को उबटन न चूमे
– नीरज नीर

दरिया के किनारे पे मिरी लाश पड़ी थी
और पानी की तह में वो मुझे ढूँड रहा था
– आदिल मंसूरी

पानी आँख में भरकर लाया जा सकता है
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है
– अब्बास ताबिश

हमने अच्छी धाँक जमा रक्खी थी अपनी
फिर उसने छोड़ा और सब पानी कर डाला
– प्रशांत शर्मा दराज़

ख़मोश झील के पानी में वो उदासी थी
कि दिल भी डूब गया रात माहताब के साथ
– रहमान फारिस

तुझे बहुत शौक़ था मोहब्बत की गर्म लपटों से खेलने का
ले जल गई न हथेली अब ख़ुश कहा था मैं ने चराग़ रख दे
– चराग़ शर्मा

पिघलती बर्फ़ की ये दास्ताँ हम को बताती है
जुदा होना ही पड़ता है यहाँ पानी को पानी से
– राज तिवारी

न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है
– ख़ुमार बाराबंकवी

मुझसे मिलने ही आती है नुक्कड़ पर
पानी पूरी केवल एक बहाना है
– दिव्य कमलध्वज

मुहब्बत में बहाया खून औ पानी कहा हमने
तेरी हर ख़ामियों को हँस के नादानी कहा हमने
– अलंक्रत श्रीवास्तव

हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया हमारा ही क़त्ल-ए-आम होगा
हमीं कुएँ खोदते फिरेंगे हमीं पे पानी हराम होगा

अगर यही ज़हनियत रही तो मुझे ये डर है कि इस सदी में
ना कोई अब्दुल हमीद होगा ना कोई अब्दुल कलाम होगा
– अज्ञात

इक प्यासे की मौत हुई है
अब पानी को दुख होगा
– शादाब जावेद

रंग की अपनी बात है वर्ना
आख़िरश ख़ून भी तो पानी है
– जौन एलिया

नहीं तो बर्फ़ सा पानी तुम्हें जला देगा
गिलास लेते हुए उँगलियाँ न छू लेना
– इरफ़ान सिद्दीक़ी

न पूछो मुझसे कैसी लगती हूँ मैं ‘नीर’ साड़ी में
किसे अच्छे नहीं लगते मिरी जाँ गाने नुसरत के
– नीरज नीर

ग़म बयाँ करने का कोई और ढंग ईजाद कर
तेरी आँखों का ये पानी तो पुराना हो गया
– वसीम बरेलवी

हो गए राम जो तुम ग़ैर से ए जान-ए-जहाँ
जल रही है दिल-ए-पुर-नूर की लंका देखो
– क़ल्ब-ए-हुसैन नादिर

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
– फ़रहत एहसास

अगर साए से जल जाने का इतना ख़ौफ़ था तो फिर
सहर होते ही सूरज की निगहबानी में आ जाते
– अज़्म शाकरी

मिट्टी और पानी भी हमें नाप कर मिलते हैं
तुम गमले में पालने को आसान समझते हो
– विशाल बाग़

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name पानी पर शायरी ऑनलाइन पढ़ें | Paani par Shayari PDF Download
CategoryBest Shayari PDF Books in Hindi
Language
Pages 15
Quality Good
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“जैसा इंसान आपको विश्वास है आपको बनना है, वैसा बनने की इच्छाशक्ति, लगन और हौंसला होना ही सफलता का मतलब है।” ‐ जॉर्ज शीहन
“Success means having the courage, the determination, and the will to become the person you believe you were meant to be.” ‐ George Sheehan

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