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Bewafa Shayari

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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
– बशीर बद्र

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
– बहादुर शाह ज़फ़र

हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसे
वो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
– जमील मलिक

हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
– फ़िराक़ गोरखपुरी

इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
– जौन एलिया

चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही
– अहमद फ़राज़

बेवफ़ाई पे तेरी जी है फ़िदा
क़हर होता जो बा-वफ़ा होता
– मीर तक़ी मीर

इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
– अहमद फ़राज़

नहीं शिकवा मुझे कुछ बेवफ़ाई का तिरी हरगिज़
गिला तब हो अगर तू ने किसी से भी निभाई हो
– ख़्वाजा मीर दर्द

हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा
– क़तील शिफ़ाई

उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं
– दाग़ देहलवी

वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी
मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी
– इफ़्तिख़ार आरिफ़

मेरे अलावा उसे ख़ुद से भी मोहब्बत है
और ऐसा करने से वो बेवफ़ा नहीं होती
– बालमोहन पांडेय

मेरे ब’अद वफ़ा का धोका और किसी से मत करना
गाली देगी दुनिया तुझ को सर मेरा झुक जाएगा
– क़तील शिफ़ाई

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें
उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें
– अख़्तर शीरानी

ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया
मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता
– अब्दुल हमीद अदम

हम ने तो ख़ुद को भी मिटा डाला
तुम ने तो सिर्फ़ बेवफ़ाई की
– ख़लील-उर-रहमान आज़मी

जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा
बार-हा आज़मा के देख लिया
– दाग़ देहलवी

गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का
– मोहम्मद रफ़ी सौदा

उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे
जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह
– आतिश बहावलपुरी

वही तो मरकज़ी किरदार है कहानी का
उसी पे ख़त्म है तासीर बेवफ़ाई की
– इक़बाल अशहर

अब ज़माना है बेवफ़ाई का
सीख लें हम भी ये हुनर शायद
– अमीता परसुराम मीता

क़ाएम है अब भी मेरी वफ़ाओं का सिलसिला
इक सिलसिला है उन की जफ़ाओं का सिलसिला
– अमीता परसुराम मीता

तुम जफ़ा पर भी तो नहीं क़ाएम
हम वफ़ा उम्र भर करें क्यूँ-कर
– बेदिल अज़ीमाबादी

उस बेवफ़ा से कर के वफ़ा मर-मिटा ‘रज़ा’
इक क़िस्सा-ए-तवील का ये इख़्तिसार है
– आले रज़ा रज़ा

अधूरी वफ़ाओं से उम्मीद रखना
हमारे भी दिल की अजब सादगी है
– अमीता परसुराम मीता

हुसैन-इब्न-ए-अली कर्बला को जाते हैं
मगर ये लोग अभी तक घरों के अंदर हैं
– शहरयार

बे-वफ़ा तुम बा-वफ़ा मैं देखिए होता है क्या
ग़ैज़ में आने को तुम हो मुझ को प्यार आने को है
– आग़ा हज्जू शरफ़

न मुदारात हमारी न अदू से नफ़रत
न वफ़ा ही तुम्हें आई न जफ़ा ही आई
– बेखुद बदायुनी

ग़लत-रवी को तिरी मैं ग़लत समझता हूँ
ये बेवफ़ाई भी शामिल मिरी वफ़ा में है
– आसिम वास्ती

ये जफ़ाओं की सज़ा है कि तमाशाई है तू
ये वफ़ाओं की सज़ा है कि पए-दार हूँ मैं
– हामिद मुख़्तार हामिद

हर बात पर सबूत मांगता था,
एक दिन रिहा कर दिया हमने…!!

थोडा अभी वक्त लगेगा मुझे तुमसा होने में,
बेवफ़ाई अभी सीख रहा हूँ मैं तुमसे…!!

आज कल उन्हे फुर्सत तक नहीं मिलती,
मुझे याद करने की…!!

अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी,
वर्ना हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे…!!

क्यों महसूस नहीं होती उसे मेरी तकलीफ,
जो कहती थी अच्छे से जानती हूं तुम्हे…!!

क्या पता था कि महोब्बत हो जायेगी,
हमें तो बस तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा…!!

तुम कुछ गलत थे पर कुछ सही भी,
इसीलिए तुम हो भी और नहीं भी…!!

जब आपको बिना गलती के सजा मिले,
तो उसे Bewafai कहा जाता है…!!

सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा…!!

हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम,
होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम…!!

हम इश्क में वफा करते करते बेहाल हो गए,
और वो बेवफाई करके भी खुशहाल हो गए…!!

किसी से इतनी उम्मीद न करें कि,
आशा के साथ-साथ आप भी टूट जाएं…!!

तुम साथ थी तो जन्नत थी मेरी ज़िन्दगी,
अब तो हर साँस ज़िंदा रहने की वजह पूछती है…!!

कुछ न मिला तो तेरा ही नाम लिखूंगा,
ओ बेवफा मैं तुझी पर सारे इल्जाम लिखूंगा…!!

जहाँ से जी ना लगे तुम वहीं बिछड़ जाना,
मगर खुदा के लिए बेवफाई ना करना…!!

तेरी बेवफाई का गम तो नहीं,
मगर तू बेवफा है दुःख ये भी कम नहीं…!!

तुम क्या जानो बेवफाई की हद ये दोस्त,
वो हमसे इश्क सीखता रहा किसी और के लिए…!!

उसने दोस्ती का ऐसा सिला दिया,
अपने मतलब के लिए उसने,
मेरी दोस्ती को भुला दिया…!!

अरे बेपनाह मोहब्बत की थी हमने तुझसे ओ बेवफा,
तुझे दुःख दूं ये न होगा कभी खुद मर जाऊं यहीं ठीक है…!!

वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो…!!

है वो बेवफा तो क्या हुआ मत कहो बुरा उसको,
जो हुआ सो हुआ, खुश रखे खुदा उसको

वो कहता है कि मजबूरियां हैं बहुत,
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता…!!

इक उम्र तक मैं जिसकी जरुरत बना रहा,
फिर यूँ हुआ कि उस की जरुरत बदल गई…!!

मौसम भी इशारा करके बदलता है,
लेकिन तुम अचानक से बदले हो हमें यकीन नहीं आता…!!

काश कोई अपना संभाल ले मुझको,
बहुत कम बचा हूँ बिल्कुल दिसम्बर की तरह…!!

उसने जी भर के मुझको चाहा था,
फ़िर हुआ यूँ के उसका जी भर गया…!!

तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की,
हम बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे…!!

तुम बदले तो मजबूरियाँ थी,
हम बदले तो बेवफ़ा हो गए…!!

याद रहेगा हमेशा यह दर्दे बेवफाई हमको भी,
कि क्या खूब तरसे थे जिंदगी में एक शख्स की खातिर…!!!!

वह रोयी तो होगी खाली कागज देखकर,
पूछा था उसने अब कैसे गुजर रही है जिंदगी…!!

बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे-धीरे,
एक शहर अब इनका भी होना चाहिए…!!

मोहब्बत में ऐसा क्यों होता है,
बेवफाई में वो रोते हैं और वफ़ा में हम रोए हैं…!!

अभी पास है तो ठोकर मारकर Bewafa बना देते हो,
जब दूर हो जाएंगे, तो प्यार जताओगे…!!

कितनी भी Care कर लो,
Bewafai करने वाले बेवफा बन ही जाए हैं…!!

कोमल, दयालु लगते थे जो हसीन लोग,
वास्ता पड़ा तो कठोर और पत्थर के निकले…!!

अब मैंने खुद का धयान रखना शुरू कर दिया है,
क्योंकि धयान रखने वाले अब बदल चुके है…!!

हम गम, तन्हाई और जुदाई से मरते रहे,
और वो बेवफा बनके चुप बैठे रहे…!!

मेरी आँखों से बहने वाले न थमने वाले ये आँसूं,
बार बार तुमसे तुम्हारी बेवफाई का कारण पूछ रहे हैं…!!

अब दोस्तो के दिलो में,
दोस्ती के फूल नहीं खिलते,
दिल में नफ़रत लिए हँस कर मिलते हैं…!!

मुझसे मेरी वफ़ा का सबूत मांग रहा है,
खुद बेवफ़ा हो के मुझसे वफ़ा मांग रहा है…!!

इन्तहा हो गयी इंतज़ार की,
आयी ना कुछ खबर मेरे यार की,
ये हमें है यकीन बेवफा वो नहीं,
फिर वजह क्या हुई इंतज़ार की…!!

हमको दिल से भी निकाला गया, फिर शहर से भी,
हमको पत्थर से भी मारा गया, और जहर से भी…!!

मेरे फन को तराशा है सभी के नेक इरादों ने,
किसी की बेवफाई ने किसी के झूठे वादों ने…!!

अपने जुल्म और सितम का हिसाब क्या दोगे,
जब खुद बेवफा हो उसका जवाब क्या दोगे…!!

अगर तुम अब भी मेरी हो जाओ तो मैं,
दुनिया की हर किताब से बेवफा लफ्ज मिटा दूंगा…!!

ये मोहब्बत करने वाले भी बहुत अजीब हैं,
वफा करो तो रुलाते हैं और बेवफाई करो तो रोते हैं…!!

दूरी और बेरुखी का जब उनसे जवाब माँगा गया,
तो हमें बेवफा बना के हमसे रिश्ता तोड़ने का जवाब दिया…!!

तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
अदालत भी तेरी थी गवाह भी तू ही थी…!!

मुझे शिकवा नहीं कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़,
गिला तो तब हो अगर तूने किसी से निभाई हो…!!

तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता,
काश तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती…!!

उन्हें यकीन है कि हम रो पड़ेंगे,
हम भी तो इंसान हैं, इल्ज़ाम नहीं करते…!!

तेरे बिना ज़िंदगी कुछ भी नहीं,
तू छोड़ दे इसे, हम बस ज़िंदगी गुज़ारेंगे…!!

क़दर भी तेरी क्या होगी हमें,
जब तूने खुद को ही नज़रअंदाज़ किया…!!

छोड़ दिया हमारा साथ तेरे इनकार के लिए,
अब तू खुश है तो ख़ुश रह, हम अब इंकार के लिए…!!

वादा किया था तुझसे ज़िंदगी भर का,
पर तूने धोखा दिया, अब इनकार क्या…!!

दिल में छुपा के रखा था तुझको,
तूने अपने दिल की सुनी, हमारी नहीं…!!

कुछ टूटने की खबर आंसू है,
हमारे जीवन का अखबार आँसू है,
घटनाएं सभी हल्की हैं,
फिर भी भारी आँसू निकल रहे हैं…!!

मैं अपनी डायरी के पेज पर जो लिखा है,
उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में भी नहीं हूं…!!

जिंदगी का सबसे अच्छा खयाल हो तुम,
इश्क़ और इबादत दोनों में बेमिसाल हो तुम…!!

प्यार एक तरह की भावनात्मक सच्चाई,
है जिसे हर कोई स्वीकार नहीं कर सकता…!!

इस दुख भरी जिंदगी में कोई भी,
मेरे साथी के साथ दुख बांटने को राजी नहीं है…!!

प्यार कभी नहीं बदलता,
जो लोग इसके बजाय प्यार करते हैं…!!

जो आदमी कॉल लॉग में सबसे ऊपर हुआ करता था,
वह अब ब्लॉक लिस्ट में है…!!

दिल का दरिया था, बहते चला गया,
दर्द की लहरों में खुद को तू बहा गया…!!

जुदाई की रातों में जब तन्हाई आती है,
दिल में तेरी यादों की बरसात होती है…!!

तेरी यादों के चरचे हमारे दिल में हैं,
दिल के दरिया के पानी में तेरी बेवफाई बहती है…!!

दिल की बातों को कैसे तू समझे,
अब तो तू ही है वजह, हमारी हर बेवफाई की…!!

वफ़ादार थे हम तेरे लिए हर दम,
पर तेरे लिए वफ़ा मरने के बाद भी कम थी…!!

दर्द इतना है कि रूह तक जख्मी है,
तेरी बेवफ़ाई का असर अभी तक नमी है…!!

दिल में बसी है ख़ामोशियों की गहराई,
तूने तो बेवफ़ाई से रिश्ते तोड़ दिए…!!

जब से तेरी बेवफ़ाई की ख़बर मिली,
दिल में ज़हर की तरह तेरी याद समाई है…!!

ख़ामोश रहने का हक़ भी तो था मेरा,
तूने तो अपनी बेवफ़ाई की ज़िम्मेदारी ले ली है…!!

तेरी यादों की तलाश में उड़ते हैं हम,
तूने तो अपनी बेवफ़ाई का अद्भुत तजुर्बा दिखाया है…!!

दिल की दीवारों को तू तोड़ चुका है,
तेरी बेवफ़ाई ने मेरे अंदर का राज खोल दिया है…!!

इश्क़ करना तो था तेरे दिल की आदत,
पर तेरी बेवफ़ाई ने तोड़ दिया हमारी इमारत…!!

दर्द-ए-बेवफ़ाई की तेरे नाम से है जुड़ी,
तूने तो वफ़ादारी की शान छीन ली है…!!

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी…!!

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा,
जिन्हे दावा था वफा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा…!!

कोई मिला ही नहीं जिसको वफा देते,
हर एक ने दिल तोड़ा किस-किस को सजा देते…!!

दिल भर ही गया है तो मना करने में डर कैसा,
मोहब्बत में बेवफाओ पर कोई मुकदमा थोड़े होता है…!!

तेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया,
मेरी जान छूटी इश्क़-ऐ-बवाल से…!!

मुझे दफनाने से पहले मेरा दिल निकालकर उसे दे देना,
मैं नहीं चाहता कि वो खेलना छोड़ दे…!!

मजाक तो मैं बाद में बना,
पहले तो उसने मुझे अपना बनाया था…!!

किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है…!!

उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा,
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है…!!

आज धोखा मिला है इश्क में मेरा दिल टूट सा गया है,
ऐसा लग रहा है जैसे किसी का साथ छूट सा गया है…!!

हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया,
गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया…!!

उन्हें ज़िद है कि मैं हँसते हुए रुखसत करूं उनको,
मुझे डर है तुम्हारी आँख भर आई तो क्या होगा…!!

अब मत खोलना मेरी जिंदगी की पुरानी किताबों को,
जो थी वो मैं रही नहीं जो हूँ वो किसी को पता नहीं…!!

बहुत दर्द देती है आज भी वो यादें,
जिन यादों में तुम नजर आते हो…!!

वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली…!!

बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले,
बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं…!!

खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा को,
दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी…!!

कभी फुर्सत मिले तो इतना जरुर बताना,
वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हें दे ना सकें…!!

मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ,
पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह…!!

वफ़ा भी नही करता वो बेवफ़ा होने से भी डरता हैं,
मुझे पाना भी नही चाहता और मुझे खोने से भी डरता है…!!

बड़ी सादगी से वो बेवफाई करके निकल गए,
हम वफाएं करके भी बस तंहा यूं ही रह गए…!!

वफा के नाम पर बेवफाई दे जाते हैं,
कुछ लोग प्यार में सिर्फ बदनामी दे जाते हैं…!!

प्यार निभाना इतना मुश्किल भी नहीं था,
कुछ तेरी वफाओं में कमी थी कुछ जमाना धोखा दे गया…!!

यूं भुला देना तेरे लिए आसान था,
मुझे समय चाहिए मुझे वक्त लगेगा…!!

इस इश्क में वफा करके भी हम बदनाम हो गए,
और वह प्यार में बेवफाई करके भी मशहूर हो गए…!!

तेरी बेवफाई का क्या शिकवा करूं,
मुझे तो मेरी वफाओं ने ही मार रखा है…!!

जिंदगी में कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं,
जो हमें जीने का सलीका सिखा जाते हैं…!!

जिनके दिल में पहले से,
बेवफाई छुपी होती है,
वह अक्सर वफा के नाम से,
डरते रहते हैं…!!

ए बेवफ़ा, तेरा ख्याल यादों से मिटाया नहीं जाता,
तुझे इस दिल से भुलाया नहीं जाता…!!

पता होता मेरे अलावा,
कोई और भी है तेरी जिंदगी में,
तो मैं तुझसे क्या,
तेरे साए से भी दूर रहता…!!

जिंदगी में कुछ इस तरह से,
रंग बदले हैं तूने कि,
गिरगिट अगर तुम्हें देख ले,
तो वह भी शरमा जाए…!!

बेवफाई करने वालों को
शर्म कहां होती है,
मजे से चेहरा उठाकर,
वह महफिलों में चले आते हैं…!!

जो फितरत में ही धोखा रखते हैं,
उन से कभी वफ़ा की उम्मीद मत रखना…!!

जो लोग वफ़ा में मर मिटने के वादें करते है,
बेवफाई करके भी बड़े शान से जी लेते हैं…!!

लोगों से सुना तो था कि तू बेवफा है,
लेकिन मेरी अंधी मोहब्बत ने
तुझ पर यकीन किया…!!

तेरी फितरत को गिरते,
इतना करीब से देखा है मैंने,
तू किरदार बदल रही थी अपना,
तेरा चेहरा गिरता देखा है मैंने…!!

मुझको बेवफा कहने वाले खुदा करे तुझे भी,
तुझसा ही वफादार मिले…!!

किसी के छोड़कर चले जाने से,
कोई तंहा नहीं रह जाता,
मगर ये दिल एकबार बर्बाद हो जाता है,
तो वह दोबारा नहीं बस पाता…!!

तुम खुश रहो उनके साथ,
जो तुम्हें हमसे भी ज्यादा प्यार करते हैं…!!

आज पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा है,
की इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है…!!

अगर कभी फुर्सत मिले तो,
हमें इतना तो बताते जाना कि,
आखिर ऐसी कौन सी खुशी थी,
जो मैं तुम्हें ना दे सका…!!

किसी को अगर दिल से,
अपना माना हो और वह हमें,
अपना ना समझे तो आखें ही नहीं,
दिल भी रो देता है…!!

लोग कहते हैं कि रात गई बात गई,
यहां तो ना रात जाती है ना बात जाती है…!!

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!

छोड़ना तो तुम मुझे पहले ही चाहते थे,
बस तुम्हें एक बहाना चाहिए था…!!

यूं मुझे छोड़ कर जाने की,
कोई एक वजह तो बता देते,
मुझसे नाराज थे या फिर,
तुम्हारी जिंदगी में मेरे जैसे बहुत थे…!!

तुम नहीं मिले तो क्या हुआ,
मैं जिंदगी भर तुम्हें ही चाहता रहूंगा,
यह जरूरी तो नहीं है की तुम,
मुझे ना चाहो तो मैं भी तुम्हें छोड़ दूं…!!

अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं,
की तुम्हारे बिना मैं मर तो सकता हूं,
लेकिन जी नहीं सकता…!!

अगर तुम्हें भी प्यार होता,
तो तुम मेरे पास जरूर आते,
माना की मैं प्यार में पागल हूं,
लेकिन भिखारी नहीं हूं…!!

किसी के आगे अपने लिए,
समय निकालने की भीख मत मांगो,
क्योंकि जो तुम्हारे होंगे,
वह तुम्हें बिना मांगे ही समय देंगे…!!

मैं तेरे बाद कोई तेरे जैसा ढूँढता हूँ,
जो बेवफ़ाई करे और बेवफ़ा न लगे…!!

जहाँ से जी न लगे तुम वहीं बिछड़ जाना,
मगर ख़ुदा के लिए बेवफ़ाई न करना…!!

इक अजब हाल है कि,
अब उस को याद करना भी बेवफ़ाई है…!!

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा,
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा…!!

फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं,
फिर वही ज़िंदगी हमारी है…!!

दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने,
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं…!!

आँखों की नींद दोनों तरह से हराम है,
उस बेवफ़ा को याद करें या भुलाएँ हम…!!

वो बेवफ़ा है तो क्या मत कहो बुरा उसको,
कि जो हुआ सो हुआ ख़ुश रखे ख़ुदा उसको…!!

नहीं लगेगा उसे देख कर मगर ख़ुश है,
मैं ख़ुश नहीं हूँ मगर देख कर लगेगा नहीं…!!

वो तुझे भूलें हैं तो तुझपे भी लाज़िम है ‘मीर’,
ख़ाक डाल, आग लगा, नाम न ले, याद न कर…!!

कौन कहता है लड़के बेदर्द होते हैं,
बस वो रोते नहीं क्योंकि वह मर्द होते हैं…!!

एटीटूड दिखाने वालों को हम मुंह नहीं लगाते,
शराफत दिखाने वाले हमारे दिलों में राज करते हैं…!!

तूने छोड़ दिया उसका ज्यादा गम नहीं,
पर तूने मेरे जिस्म और जज्बातो से खेला,
इसका दुःख कोई कम नहीं…!!

बेवफाई का ताज तुम्हे मुबारक हो बड़े
इत्मीनान से खेले हो मेरे इस मासूम दिल से…!!

किसी का साथ छोड़ने से पहले,
एक बार जरूर सोचना कि उसके साथ,
अब तक क्यों थे…!!

वो कहता है अब मैं खूबसूरत नहीं रही,
जिसे मेरी सादगी से भी कभी इश्क हुआ था…!!

मत कीजिए मुझ पर यकीन,
अब मुझे भी भरोसा नहीं रहा खुद पर…!!

यूं तो मैं गहरी समुंदर हूं गमों का,
मगर मुस्कुराने की आदत है मेरी…!!

सबको समझते समझते मैं खुद समझ गया,
कोई नहीं मिलेगा मुझे समझने वाला…!!

जितने आंसू मैंने बहा दिए तेरे लिए,
इतने तो तेरे अपने भी नहीं बहाएंगे तेरे लिए…!!

नादान दिल अक्सर सुनता था जिसकी बातो को,
अब वो बेवफा शख्स बहुत याद आता रातो को…!!

मान जाना यार चार दिन की जिंदगी है,
और तू तीन दिन से नाराज…!!

जाने क्यों लोग झूठा प्यार किया करते हैं,
वफा का नाम लेकर बेवफाई पर मरते हैं…!!

दिल से चाहने वालों को,
भूलाना अगर आसान होता,
तो ए दिल तेरा हम पर,
बहुत बड़ा एहसान होता…!!

हर सितम सहकर कितने ग़म छिपाये हमने,
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने,
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला,
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने !!

हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला,
हमको जो भी मिला बेवफा यार मिला,
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,
हर कोई मकसद का तलबगार मिला !!

कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आकर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी !!

प्यार में बेवाफाई मिले तो गम न करना,
अपनी आँखे किसी के लिए नम न करना,
वो चाहे लाख नफरते करें तुमसे,
पर तुम अपना प्यार कभी उसके लिए कम न करना !!

महफ़िल ना सही तन्हाई तो मिलती है,
मिलें ना सही जुदाई तो मिलती है,
प्यार में कुछ नहीं मिलता,
वफ़ा न सही बेवफाई तो मिलती हैं !!

एक बेवफा को हमने दिल में जगह दी थी,
ख़्वाबों की दुनिया अपनी उससे ही सजा दी थी।

कैसे गलत कह दूँ तेरी बेवफाई को,
यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है !

तू बेवफा है, ये मेने अब जान लिया है,
दिल के दर्द को तूने बदनाम किया है।

प्‍यार गुनाह है तो होने ना देना,
प्‍यार खुदा है तो खोने ना देना,
करते हो प्‍यार जब किसी से तो,
कभी उस प्‍यार को रोने ना देना।

मत ज़िकर कीजिये मेरी अदा के बारे में,
मैं बहुत कुछ जानता हूँ वफ़ा के बारे में,
सुना है वो भी मोहब्बत का शोक़ रखते हैं,
जो जानते ही नहीं वफ़ा के बारे में।

चले जाने दो बेवफा को किसी और की बाहों में,
जो मेरा ना हो सका वो किसी और का क्या होगा।

दिल तोड़ देती हैं यह खूबसूरती की परियां,
इसलिए जरुरी है बना कर रखें इनसे दूरियां।

तुम्हारी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की,
में बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगा !

दिल भी गुस्ताख हो चला था बहुत,
शुक्र है की यार ही बेवफा निकला !

वो मेरे जज़्बात समझे या ना समझे,
मुझे उनकी हर बात पर विश्वास करना होगा,
हम इस दुनिया को छोड़ देंगे,
लेकिन वे हर रात आंसू बहाएंगे।

कभी रो के मुस्कुराए, कभी मुस्कुरा के रोये,
तेरी याद जब भी आयी, तुझे भुला भुला के रोये।

जिनकी चैन से गुजरतीं हो रातें
वो हमसे बात क्या करेंगे
जिनके हो हजारो चाहने वाले
वो भला हमें याद क्या करेंगे

वैसे तो इश्क़ उन्हें भी हो जाता मगर,
दौलत की आंधी चली तो ये मोहब्बत भी इकतरफ़ा हो गयी।

याद वही आते हैं जो अक्सर दर्द देते हैं,
बनाकर अपना सफर में, अकेला छोड़ देते हैं।

उसकी आँखों में अब भी वही राज़ था,
और चेहरे का लिबास वही था,
कैसे उन्हें बेवफा कह दूं,
आज भी उनके देखने का अंदाज़ वही था।

उस इंसान के लिए आखिर कब तक रोता रहूँगा,
जो मुझे छोड़ कर किसी और के साथ खुश हैं।

दिल टूटेगा तो शिकायत करोगे तुम भी,
हम ना रहे तो हमे याद करोगे तुम भी,
आज कहते हो हमारे पास वक़्त नहीं हैं,
पर एक दिन मेरे लिए वक़्त बर्बाद करोगे तुम भी।

प्रेम ने हम पर ये इल्जाम लगाया है,
वफ़ा कर के बेबफा का नाम आया हैं,
राहें अलग नहीं थी हमारी फिर भी,
हम ने अलग अलग मंज़िल को पाया हैं।

वो दिन याद आते जब तू कहती मोहब्बत है
अब वो दिन याद आते हैं जब तू बेवफा है।

सलामत रहे वो बीछड कर भी हमसे,
ये रब से दुआ करेंगे,
वो हमें बैशक भूल जाये,
हमतो उन्हें रोज याद करेंगे।

एक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
हर एक आंसू समंदर नज़र आता हैं,
कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना,
हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं।

एक तेरा ही नाम था जिसे हज़ार बार था लिखा,
जिसे खुश हुए थे लिख कर, उसे मिटा मिटा के रोये।

पलकों के किनारे हमने भिगोये ही नहीं,
वो सोचते हैं कि हम रोये ही नहीं,
वो पूछते हैं कि सपनो मैं किसे देखते हो,
हम हैं कि इतने सालो से सोये ही नहीं।

तेरी बेवफाई ने मेरा ये हाल कर दिया है,
मैं नहीं रोती, लोग मुझे देख कर रोते है।

भरोसा जितना कीमती होता है,
धोखा उतना ही महंगा हो जाता है।

बेवफा वक़्त था, तुम थे, या मेरा मुकद्दर,
बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला।

वो मोहब्बत भी तेरी थी वो नफ़रत भी तेरी थी,
वो अपनाने और ठुकरानी की अदा भी तेरी थी,
मे अपनी वफ़ा का इंसाफ़ किस से माँगता,
वो सहर भी तेरा था वो अदालत भी तेरी थी।

वफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला,
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।

प्यार में मेरा इस कदर टूटना तो लाजमी था,
काँच का दिल था और मोहब्बत पत्थर से की थी।

कोई रिश्ता टूट जाये दुख तो होता है,
अपने हो जायें पराये दुख तो होता है,
माना हम नहीं प्यार के काबिल,
मगर इस तरह कोई ठुकराये दुख तो होता है।

जनाजा मेरा उठ रहा था,
तकलीफ थी उसको आने में,
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी,
और कितनी देर है इसको दफनाने में।

लम्हा लम्हा सांसें खत्म हो रही हैं,
जिंदगी मौत के पहलू में सौ रही है,
उस बेवफा से ना पूछो मेरी मौत की वजह,
वो तो ज़माने को दिखाने के लिए रो रही है।

रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लग के वो,
ऐसा लगा कि जैसे कभी बेवफा न थे वो !

नादाँ और नासमझं से कभी दिल ना लगाना,
वरना फालतू में पड़ेगा तुमको पछताना,
नहीं जानते वो प्यार की कीमत क्या होती है,
उनकी तो आदत ही होती है हर किसी से दिल लगाना।

अगर दुनिया में जीने की चाहत ना होती,
तो खुदा ने मोहब्बत बनाई ना होती,
लोग मरने की आरज़ू ना करते,
अगर मोहब्बत में बेवाफ़ाई ना होती।

वो हमें भूल कर खुश हो पाएंगे,
साथ नहीं तो मेरे जाने के बाद मुस्कुराओगे,
दुआ है ईश्वर से की उन्हें कभी दर्द ना देना,
हमने सहन किया है लेकिन वे टूट जाएंगे।

एक बेवफा से मैंने प्यार क्या,
दिल देकर उस पर एतेबार क्या,
हमने तो समझ था उसे हम दर्द अपना,
मगर बनकर बेदर्द उसने, दिल पर मेरा वॉर किया।

क्यों इस तरह से मुझे अकेला छोड़ दिया
इतनी बुरी तरह मेरा दिल तोड़ दिया।

प्यार से भरी कोई ग़ज़ल उसे पसंद नहीं,
बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं !

ऐसा कोई टेस्ट नहीं जो आपने ना लिया हो,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान ना रहा,
है कोई बस्ती, जहां से ना उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
प्रेमी की कुर्बत से महरूम कोई श्मशान ना रहा।

ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं।

वो बेवफा है तो क्या हुआ उसे बेवफा ही रहने दो,
हमने तो सच्ची मोहब्बत की थी हमे उनकी मोहब्बत का सताया ही रहने दो।

तेरी बेवफाई ने हमारा ये हाल कर दिया है,
हम नहीं रोते लोग हमें देख कर रोते हैं !

दिल टूटा, आंसू रुके ना, तेरी बेवफाई में कुछ ऐसा असर था।
तू चली गई, छोड़ अकेला, इस दिल का अब क्या करूं मैं बता?

सजाए थे ख्वाबों का शहर, तूने एक पल में तोड़ दिया,
तेरी बेवफाई से पहले, ये दिल कितना मजबूत था।

तेरी यादों की बारात, दिल में आज भी उतरती है,
तू नहीं है साथ, पर तेरी बेवफाई साथ चलती है।

सफर में था जो साथी मेरा, वो बेवफा निकला,
दर्द का ये सिलसिला, अब तक नहीं रुका।

आईना भी क्या कहे, जब दिल टूटा आईने में,
बेवफाई की चोट से, हर तस्वीर अधूरी लगे।

तेरी यादें, खाली पन्नों पे बिखरी पड़ी हैं,
बेवफाई की इन लकीरों में, मेरी कहानी छिपी पड़ी है।

बेवफा की याद में, रातें कटती हैं,
उसकी याद में अक्सर, आंखें भीगती हैं।

टूटे ख्वाबों के सहारे, जी रहा हूं मैं,
तेरी बेवफाई ने, जीना मुहाल कर दिया।

बिना तेरे, हर लम्हा एक सदी सा लगता है,
तेरी बेवफाई में, हर खुशी फीकी लगती है।

बेवफा तेरे ख्यालों में, दिन-रात डूबा रहता हूं,
तेरी याद में, अपना सब कुछ भूला बैठा हूं।

वक्त बदला, तू बदली, बदल गए हम भी,
बेवफाई के इस तमाशे में, खो गया हर खुशी।

तेरी बेवफा यादों के साये, दिल को घेरे हैं,
तू नहीं है साथ, पर तेरी यादें दिल को तेरे हैं।

मोहब्बत की वो गलियां, अब सुनसान पड़ी हैं,
तेरी बेवफाई ने, इश्क को भी शर्मसार किया है।

दिल का दर्द, लबों पर नहीं आता,
तेरी बेवफाई में, दिल रोज जलता जाता।

तेरी बेवफा दुनिया में, हम ना कभी खुश थे,
दर्द का ये कारवां, तेरे बिना भी चलता रहा।

टूटा हुआ विश्वास, दिल में दर्द का कारण बना,
बेवफा, तेरे जाने से, जिंदगी अधूरी रह गई।

बेवफा के जाल में, फंसा रह गया मेरा दिल,
उसकी यादों में, आज भी हर पल है मुश्किल।

तेरे आखिरी खत में, बेवफाई की खुशबू आती है,
हर लफ्ज़ में तेरे, जुदाई की आहट सुनाई देती है।

बेवफाई के इस मौसम में, हर खुशी बेनूर हो गई,
तेरे जाने से, जिंदगी की राहें सुनसान हो गई।

बेवफा की छाया में, जिंदगी कटती रही,
तेरी बेवफाई में, हर खुशी खोती रही।

तेरी बेवफाई का गम नहीं, पर अफसोस तो ये है,
मेरी वफाओं का क्या होगा, जो तेरे नाम से जुड़े थे।

बेवफा तेरी यादों में डूबे तो ये जाना,
तूने तो कभी समझा ही नहीं, मेरा प्यार क्या था।

वो बेवफा है, ये जानते हुए भी उसे चाहा,
इश्क में ये दिल अक्सर खुद से ही हारा।

कहते हैं लोग बेवफा तुझे, पर मेरा दिल नहीं मानता,
तेरी यादें, तेरा एहसास, अब भी दिल को बहुत सताता।

बेवफाई का इल्जाम तो तेरा है, पर दर्द मेरे दिल को हुआ,
तेरी यादों का सिलसिला अब तक मेरी रूह को छू रहा।

तू बेवफा सही, पर मेरा प्यार तो सच्चा था,
तेरे जाने के बाद ये दिल बस टूटा ही रहा।

बेवफा कहूं या इश्क की भूल, तेरी यादों में हर रात भीगता हूँ,
तेरे बिना ये जिंदगी बस एक सजा सी लगती है।

तेरे बेवफा होने का गम नहीं, गम तो ये है कि,
तू मेरी जिंदगी का सबसे हसीन झूठ था।

बेवफा तेरा नाम सुनकर भी, दिल धड़कता है मेरा,
तेरी बेवफाई में भी, मेरे इश्क का फसाना बसा।

बेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा,
तेरी यादें अब भी इस दिल में बसी हुई हैं।

तेरी मोहब्बत में धोखे का ज़हर था,
हमने समझा था इश्क, पर ये तो बस एक फरेब था।

बेवफा तेरी यादों का सिलसिला अब भी है,
तू नहीं, पर तेरा धोखा मेरे दिल में अब भी है।

ख्वाबों में बसा था जो, वो हकीकत में धोखा निकला,
दिल लगाया था जिससे, वो ही तो बेवफा निकला।

धोखे की इस महफिल में, हर रिश्ता नकाबपोश था,
समझा था जिसे अपना, वो ही सबसे बड़ा धोखेबाज था।

बेवफाई का दर्द दिया तूने ऐसा,
हर खुशी मेरी लगने लगी है फीकी जैसा।

वादे किए थे हर रोज़ नए तूने,
पर तेरे हर वादे में छिपा था एक धोखा।

बेवफा का सफर लंबा होता है,
हर कदम पे वो दिलों को तोड़ता है।

धोखा देना तेरी आदत में शुमार हो गया,
हम तो प्यार में थे, तू खेल समझ बैठा।

तेरे धोखे ने मेरे दिल को ऐसे तोड़ा,
आँखों से आँसुओं का समंदर बह निकला।

बेवफाई का आलम ये है कि अब तेरी यादें भी दर्द देती हैं,
तेरे जाने के बाद हर खुशी अधूरी लगती है।

तेरी बेवफाई का गम नहीं,
दर्द तो यह है कि तेरा प्यार ही झूठा था।

दिल टूटा, ख्वाब बिखरे,
तेरी यादों में बस एक बेवफाई की दास्तां रह गई।

सोचा था चाँद तक साथ चलेंगे,
पर तेरी बेवफाई ने राहों में ही छोड़ दिया।

तू बेवफा सही,
पर तेरी यादें आज भी वफा निभाती हैं।

बेवफा तेरा मासूम चेहरा,
अब भी मेरे दिल को भरमाता है।

तेरी बेवफाई में भी एक सबक था,
जो हर खुशी से ज्यादा कीमती था।

तेरे जाने के बाद समझा,
बेवफाई भी कभी-कभी मोहब्बत की राह दिखाती है।

बेवफाई का आलम यह है कि हर रात तेरी याद में आँसू बहाता हूँ।

तेरी बेवफाई के बाद भी, तेरा नाम लबों पे आता है,
ये दिल अब भी तुझसे प्यार करता है।

तेरी बेवफाई ने सिखाया,
हर रिश्ते में सच्चाई नहीं होती।

तेरे कहने पे छोड़ा है तुझे
जमाने से ना कहना बेवफ़ा हूँ…

अर्ज क्या है
की दिल करता है
रूठ जाऊ सबसे
अफ़सोस मुझे बेवफा को मनाएगा कोन।

लाजवाब हुआ करती थी
हमारी मुस्कुराहट
किसी बेवफा को इतनी पसंद आई कि
अपने साथ ही ले गई।

इजाज़त हो तो
तेरे चहेरे को देख लूँ जी भर के..
मुद्दतों से इन आँखों ने कोई
बेवफा नहीं देखा!!

हम तो इन्तेजार करते करते
अब मर जायेंगे
कोइ तो आए एसा जिन्दगी में
जो बेवफा ना हो

सिर्फ एक ही बात सीखी
इन हुसन वालों से हमने
हसीन जिसकी जितनी अदा है
वो उतना ही बेवफा है

तु बदली तो मजबूरियाँ थी……?
और जब मै बदला तो बेवफ़ा हो गया ।

सावले रंग से इश्क करना तो लाजमी है
गोरे तो आजादी के पहले भी बेवफा थे !!

ये इश्क न जाने क्यूं चाहत बन जाता है
वो सायाद बेवफा ही सही,
पर दिल उसका आदत बन जाता है।

तेरे कहने पर छोड़ा है तुझे,
दुनियाँ से ना कहना बेवफा हूँ मैं !

“अकेले रहना एक नशा है,,
और मैं नशेड़ी हूँ…..
लेकिन बनाया किसने
तुमने ओ बेवफ़ा तुमने

सबसे मांग ली माफ़ी,
सबका मैने ही तो दिल दुखाया है
सब हैं दूध के धुले हुए,,
इसलिए हमने खुद से ही खुद को
बेवफ़ा बुलाया है..!!

मोहब्बत सीखा कर जुदा हो गया
ना सोचा ना समझा खफा हो गया
दुनिया में हम किसको अपना कहे
जो अपना था वही बेवफा हो गया !!

वफादार और तुम ख्याल अच्छा हैं,
बेवफ़ा और हम इल्ज़ाम अच्छा है।

आइए बे-झिझक कहिये
बेवफ़ा मुझ को …
मैं अब तुम्हारे बारे में कम कम सोचता हूँ…

तुम्हीं से सीख रहा हूं हुनर
नजर अंदाजगी का,
अब जो तुम पर आजमाऊं तो
बेवफ़ा मत समझना !!

वो मिली भी तो क्या मिली,
बन के बेवफा मिली,।
इतने तो बुरे हम ना थे,
जितनी मुझे सजा मिली।।

लड़के बेवफा नहीं होते वो बस
Confuse होते हैं …
की कौन सी वाली
ज्यादा प्यारी है …

हर खूबसूरत चीज को
एक खूबसूरत चीज़ कि तलाश होती है
लेकिन हर खूबसूरत चीज
बेवफ़ा होती हैं…!!

दोबारा इश्क हुआ तो
तुझी से होगा
खफा हूं में…
बेवफा नहीं…!!

इतनी मुश्किल भी ना थी
राह मेरी मोहब्बत की
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ
कुछ वो बेवफा हो गए।।

निकला है
जनाजा तब हार चढ़ाने आई है,
बेवफा मेरे मरने के बाद
प्यार जताने आई है।

मोहब्बत तो दिल से की थी मैंने
पर दिमाग उसने लगा दिया,,,
बेवफा वो खुद थे
और इल्जाम मुझ पर लगा दिया…

इश्क वालो को फुर्सत कहा कि
वो गम लिखेंगे ,
अरे कलम इधर लेकर आओ
बेवफा के बारे में हम लिखेंगे।

उल्फत, मोहब्बत, बेवफा, हया, इश्क, गम, अफसानें
वो आई ही थी जिंदगी में शायद उर्दू सिखाने

लुटा दी हमनें अपनी सारी बफ़ा
एक ही शख्स पर,
अब भी वो
हमें बेवफा कहे तो उसकी
वफ़ा को सलाम !!

मैं सच्चे इश्क की किताब पढ़ रहा हूँ
और तुम बेवफा हो तुम्हारा मुँह
छिपा लेना तो लाजमी है..!!

मिल जायेगा हमे भी कोई चाहने वाला
अब सारा शहर तो बेवफा नही
हो सकता !!

जिनकी शायरियों में दर्द होता है,
वो शायर नही
किसी बेवफा का दीवाना होता है।

झूठी उम्मीद दिलाते हैं
बस जमाने वाले,,
बहुत खूबसूरत लोग
अक्सर बेवफा होते हैं।

कर सकता था मैं भी मोहब्बत उनसे ,,
फिर सोचा चेहरा हसीन है,
बेवफा तो होगी ही।

जिंदगी तो बेवफ़ा है,
एक दिन ठुकराएगी,
मौत महबूबा है,
साथ लेकर जायेगी…

शक से भी आजकल टूट जाते हैं
कुछ रिश्ते
ये जरुरी नहीं
हर बार कोई बेवफा ही निकले..

जिसे अपना समझा
वो किसी और के हो गए
मेरा क्या कसूर था
जो तुम बेवफा हो गए।

उदास लम्हों में न जाने क्यों ….
बेवफा लोग बहुत याद आते है ..

उसकी मोहब्बत के खातिर
हम जहां से लड़ बैठे,
बड़े नासमझ थे हम,
एक बेवफा से उम्मीद-ए वफा कर बैठे…

हाल यू है की गले लगकर तुझसे .
तेरी ही शिकायत करनी है।

बेवफ़ा से वफा की उम्मीद.
ऐसी भी क्या जीना यार।

वो कहती हैं
बहुत मजबूरियाँ हैं वक़्त की
वो साफ़ लफ़्ज़ों में ख़ुद को बेवफ़ा नहीं कहती

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की
– गुलज़ार

रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई
– जावेद अख़्तर

आज उस ने हंस के यूं पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
– एहसान दानिश

अब तो कुछ भी याद नहीं है
हम ने तुम को चाहा होगा
– मज़हर इमाम

इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
– अहमद मुश्ताक़

आरज़ू वस्ल की रखती है परेशां क्या क्या
क्या बताऊं कि मेरे दिल में है अरमां क्या क्या
– अख़्तर शीरानी

जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
– जौन एलिया

कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए
– शाद आरफ़ी

आख़िरी बार आह कर ली है
मैं ने ख़ुद से निबाह कर ली है
– जौन एलिया

दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं
– जलील ’आली’

एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
– जोश मलीहाबादी

अजब चराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं
मैं थक गया हूं हवा से कहो बुझाए मुझे
– बशीर बद्र

आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना
– बशीर बद्र

दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
– महताब आलम

जो मिला उस ने बेवफ़ाई की
कुछ अजब रंग है ज़माने का
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएं तो क्या करें
उस बेवफ़ा को भूल न जाएं तो क्या करें
– अख़्तर शीरानी

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता
– बशीर बद्र

तुम किसी के भी हो नहीं सकते
तुम को अपना बना के देख लिया
– अमीर रज़ा मज़हरी

आदतन तुमने कर लिए वादे
और आदतन हमनें ऐतबार कर लिया
– गुलज़ार

मुद्दा ये नही की दाल महंगी है गालिब
दर्द ये है की किसी की गल नही रही

बदला बदला सा है मिजाज क्या बात हो गई
शिकायत हमसे है या किसी और से मुलाकात हो गई

अदब कीजिए हमारी खामोशी का
आपकी औकात छुपाए बैठे है

हमे भी बड़ा शौक था दरिया ए इश्क में तैरने का
एक लहर ने ऐसा डुबाया की अभी तक किनारा नही मिला
ले रहा था मोहब्बत की चादर इश्क के बाज़ार से
भीड़ से आवाज़ आई कफ़न भी लेते जाना अक्सर यार बेवफा होते है

जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ गालिब
दर्द का अहसास तो तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में
हुस्न कहां हसीन होता है ऐ बेवकूफ इंसान
जिनसे इश्क हो जाए वो हसीन लगने लगता है

शौक़ तो नही था मोहब्बत करने का
नजर तुमसे मिली तो हम भी शौकीन हो गए
कौन कहता है हम तबाह नही है मेरी बर्बादी का कोई गवाह नही है
सब देखते है मुझे मुस्कुराते हुए क्योंकि रोने के लिए कोई जगह नही है

मजनू अब इश्क़ करे तो कैसे करे
लैला अब ऐतबार के काबिल न रही”

मिल जाए जब औरो से फुरसत तो जरा सोचना
क्या सिर्फ फुरसतो में याद करने का रिश्ता है हमसे

सिर्फ सांसों का थम जाना ही मौत नही होती
अपने पसंद को खोना भी मौत ही है।

बदला जो वक्त गहरी रफाकत बदल गईं
सूरज ढला तो साए की सूरत बदल गईं
एक उम्र तक मैं उसकी जरूरत बना रहा
फिर हुआ कि उसकी जरूरत बदल गईं

मुझे वहां ले जाओ जहां मैं तुम्हारे मिलने से पहले था
और फिर मुझे छोड़ दो

ज़ालिम ने दिल उस वक्त तोड़ा
जब हम उसके गुलाम हो गए

किसे खबर थी वो ऐसे भी खफा हो जायेगा
ज्यादा चाहेंगे उसे तो बेवफा हो जायेगा…

रो पड़ा वो फकीर भी मेरे हाथों की लकीरें देखकर
बोला तुझे मौत नही किसी की याद मारेगी….

दिमाग पर जोर लगाकर गिनते हो गलतियां मेरी
कभी दिल पर हाथ रखकर पूछना कसूर किसका था…

मेरे जख्मों पर कुछ इस तरह से मरहम लगती है
वो पहले इश्क़ की बातें करती थी अब दोस्त बुलाती है वो

आज परछाईं से पूछ ही लिया क्यों चलती हो मेरे साथ
उसने भी हंसके कहा और कौन है तेरे साथ

याद करोगे एक दिन मुझे ये सोचकर
कि क्यों नहीं क़दर की उसके प्यार की

खामोशियां बेवजह नही होती
कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं!

दर्द की भी अपनी ही एक अदा है
वो भी सिर्फ सहने वाले पर ही फ़िदा हैं

मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते है
मैं रो पड़ूं तो कई लोग मुस्कुराते हैं

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खड़े उतरे

खता मत गिन इश्क़ में किसने क्या गुनाह किया
इश्क़ एक नशा था तूने भी किया और मैंने भी किया

एक तू ही था जो दिल में समा गया
वरना कोशिश यहां हजारों ने की थी

तुम लौटकर आ जाना जब भी तुम्हारा दिल करे
100 बार भी लौटोगे तो हमे अपना ही पाओगे

मैं तेरी जिंदगी से चला जाऊं ये तेरी दुआ थी
तेरी हर दुआ कबूल हो ये मेरी दुआ थी

धोखा देती है अक्सर माशूम चेहरे की चमक
हर कांच के टुकड़े को हीरा नही कहते

घूट घूट कर जीते रहे कोई फ़रियाद न करे
कहां से लाऊं वो दिल जो तुझे याद न करे

नहीं मिला जो प्यार क्या हंसना भी छोर दे
मर तो चुके कई बार क्या जीना भी छोर दे

वो शख्स जो कहता था तू ना मिला तो मर जाउंगा
“फ़राज़” वो आज भी जिंदा है यही बात किसी और से कहने के लिए

साथ जीने मरने का वादा था
मरके भी साथ न छोड़ने का वादा था
सारी बातों से तू मुखर क्यों गयी
ए सनम तू मुझे धोखा देकर चली गयी

लफ्ज़ सादे है पर कितने प्यारे है
तुम किसी और के हो और हम सिर्फ तुम्हारे है

यूं न कहो की किस्मत की बात है
मेरी तन्हाई में कुछ तुम्हारा भी हाथ है

हादसों के गवाह हम भी है
अपने दिल से तबाह हम भी है
जुर्म के बिना सज़ा ए मौत मिली है
ऐसे बेगुनाह हम भी है

बात इतनी सी थी की तुम अच्छे लगते थे
अब बात इतनी बढ़ गई कि तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता

आज तुम हर सांस के साथ याद आ रहे हो
बताओ तो जरा तुम्हारी यादें रोकू या सांसे

याद कर लेना मुझे तुम कोई भी जब पास न हो !

 

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name बेवफ़ा शायरी ऑनलाइन पढ़े | Bewafa Shayari PDF Download
CategoryBest Shayari PDF Books in Hindi
Language
Pages 55
Quality Good
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“अपना जीवन जीने के केवल दो ही तरीके हैं। पहला यह मानना कि कोई चमत्कार नहीं होता है। दूसरा है कि हर वस्तु एक चमत्कार है।” ‐ अल्बर्ट आईन्सटीन
“There are only two ways to live your life. One is as though nothing is a miracle. The other is as though everything is a miracle.” ‐ Albert Einstein

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