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Motivational Shayari

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ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
– अल्लामा इक़बाल

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।
– मजरूह सुल्तानपुरी

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन,
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा।
– साहिर लुधियानवी

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं,
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
– जिगर मुरादाबादी

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा,
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता।
– शफ़क़ सुपुरी

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।
– बशीर बद्र

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।
– राहत इंदौरी

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं,
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है।
– अमीर मीनाई

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो।
– निदा फ़ाज़ली

हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें,
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं।
– साहिर लुधियानवी

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा,
तिरे सामने आसमाँ और भी हैं।
– अल्लामा इक़बाल

उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए,
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए।
– इरफ़ान सिद्दीक़ी

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन,
फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर।
– निदा फ़ाज़ली

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे।
– निदा फ़ाज़ली

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा,
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा।
– अमीर क़ज़लबाश

रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं।
– मिर्ज़ा ग़ालिब

तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन,
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था।
– शफ़क़ सुपुरी

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए।
– असरार-उल-हक़ मजाज़

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।
– बिस्मिल अज़ीमाबादी

ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती,
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें।
– अहमद फ़राज़

बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो,
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो।
– मीर तक़ी मीर

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता,
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए।
– निदा फ़ाज़ली

नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर,
तू शाहीं है बसेरा कर पहाड़ों की चटानों में।
– अल्लामा इक़बाल

साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन,
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है।
– आल-ए-अहमद सुरूर

लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को,
मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं।
– अकबर इलाहाबादी

अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला,
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा।
– महशर बदायुनी

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें,
जो हो ज़ौक़-ए-यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें।
– अल्लामा इक़बाल

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है,
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है।
– बशीर बद्र

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे,
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे।
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,
यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का।
– शहरयार

चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से,
अगर आसानियाँ हों ज़िंदगी दुश्वार हो जाए।
– असग़र गोंडवी

अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल,
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया।
– जिगर मुरादाबादी

देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार,
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख।
– मजरूह सुल्तानपुरी

हयात ले के चलो काएनात ले के चलो,
चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो।
– मख़दूम मुहिउद्दीन

रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है,
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है।
– जलील ’आली’

अभी से पाँव के छाले न देखो,
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है।
– एजाज़ रहमानी

रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़,
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है।
– इरफ़ान सिद्दीक़ी

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए,
कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए।
– निदा फ़ाज़ली

सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें,
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
– बशीर बद्र

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम,
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे।
– बशीर बद्र

लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं,
मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है।
– अमीर क़ज़लबाश

ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं,
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं।
– माहिर-उल क़ादरी

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है,
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।
– शकील आज़मी

प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर,
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े।
– इक़बाल साजिद

तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर,
सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर।
– अमीर मीनाई

जहाँ पहुँच के क़दम डगमगाए हैं सब के,
उसी मक़ाम से अब अपना रास्ता होगा।
– आबिद अदीब

नहीं है ना-उमीद ‘इक़बाल’ अपनी किश्त-ए-वीराँ से,
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी।
– अल्लामा इक़बाल

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह,
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह।
– अनवर शऊर

इतना भी ना-उमीद दिल-ए-कम-नज़र न हो,
मुमकिन नहीं कि शाम-ए-अलम की सहर न हो।
– नरेश कुमार शाद

बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी,
डूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया।
– अब्दुल हमीद अदम

इन अंधेरों से परे इस शब-ए-ग़म से आगे,
इक नई सुब्ह भी है शाम-ए-अलम से आगे।
– इशरत क़ादरी

यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम,
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें।
– अल्लामा इक़बाल

न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब ओ हुनर,
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा न रहा।
– बहादुर शाह ज़फ़र

ऐ ‘ज़ौक़’ तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर,
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता।
– शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़,
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले।
– मिर्ज़ा अज़ीम बेग ‘अज़ीम’

किनारे ही से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले,
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।
– जगन्नाथ आज़ाद

भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो,
कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे।
– रज़ा हमदानी

यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,
हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है।
– मंज़ूर हाशमी

चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल,
हौसला किस का बढ़ाता है कोई।
– शकील बदायूनी

वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो,
हौसले मुश्किलों में पलते हैं।
– महफूजुर्रहमान आदिल

एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं,
वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने।
– अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

जलाने वाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर,
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की।
– जमील मज़हरी

रंग-ए-महफ़िल चाहता है इक मुकम्मल इंक़लाब,
चंद शम्ओं के भड़कने से सहर होती नहीं।
– क़ाबिल अजमेरी

दुनिया में वही शख़्स है ताज़ीम के क़ाबिल,
जिस शख़्स ने हालात का रुख़ मोड़ दिया हो।
– अज्ञात

माज़ी-ए-मरहूम की नाकामियों का ज़िक्र छोड़,
ज़िंदगी की फ़ुर्सत-ए-बाक़ी से कोई काम ले।
– सीमाब अकबराबादी

हफ़ीज़’ अपनी बोली मोहब्बत की बोली,
न उर्दू न हिन्दी न हिन्दोस्तानी।
– हफ़ीज़ जालंधरी

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे,
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा।
– निदा फ़ाज़ली

हर मुसीबत का दिया एक तबस्सुम से जवाब,
इस तरह गर्दिश-ए-दौराँ को रुलाया मैं ने।
– फ़ानी बदायुनी

सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती,
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की।
– अल्ताफ़ हुसैन हाली

ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहीं,
मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है।
– अज़हर इनायती

आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी,
अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही।
– अल्लामा इक़बाल

गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है,
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं।
– हफ़ीज़ बनारसी

पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे,
रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या।
– मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

दौलत-ए-दुनिया नहीं जाने की हरगिज़ तेरे साथ,
बाद तेरे सब यहीं ऐ बे-ख़बर बट जाएगी।
– बहादुर शाह ज़फ़र

हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच,
डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा।
– अर्श सिद्दीक़ी

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़,
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए।
– अल्लामा इक़बाल

आबाद अगर न दिल हो तो बरबाद कीजिए,
गुलशन न बन सके तो बयाबाँ बनाइए।
– जिगर मुरादाबादी

बढ़ते चले गए जो वो मंज़िल को पा गए,
मैं पत्थरों से पाँव बचाने में रह गया।
– उमैर मंज़र

सुतून-ए-दार पे रखते चलो सरों के चराग़,
जहाँ तलक ये सितम की सियाह रात चले।
– मजरूह सुल्तानपुरी

इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा,
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है।
– अख़्तर शीरानी

चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सही,
जला के अपना दिया रौशनी मकान में ला।
– अकबर हैदराबादी

नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें,
मर्द हैं वो जो ज़माने को बदल देते हैं।
– अकबर इलाहाबादी

मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना,
लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना।
– राहत इंदौरी

मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट ही जाएगा,
मुझे सर मार कर तेशे से मर जाना नहीं आता।
– यगाना चंगेज़ी

चले चलिए कि चलना ही दलील-ए-कामरानी है,
जो थक कर बैठ जाते हैं वो मंज़िल पा नहीं सकते।
– हफ़ीज़ बनारसी

फूल कर ले निबाह काँटों से,
आदमी ही न आदमी से मिले।
– ख़ुमार बाराबंकवी

मौजों की सियासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’,
गिर्दाब की हर तह में साहिल नज़र आता है।
– फ़ानी बदायुनी

हो न मायूस ख़ुदा से ‘बिस्मिल’,
ये बुरे दिन भी गुज़र जाएँगे।
– बिस्मिल अज़ीमाबादी

इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने की,
उधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की।
– अज्ञात

फ़राग़त से दुनिया में हर दम न बैठो,
अगर चाहते हो फ़राग़त ज़ियादा।
– अल्ताफ़ हुसैन हाली

ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से,
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं।
– मुईन अहसन जज़्बी

ग़रीबी अमीरी है क़िस्मत का सौदा,
मिलो आदमी की तरह आदमी से।
– हैरत गोंडवी

अत्तार’ हो ‘रूमी’ हो ‘राज़ी’ हो ‘ग़ज़ाली’ हो,
कुछ हाथ नहीं आता बे-आह-ए-सहर-गाही।
– अल्लामा इक़बाल

अख़्तर’ गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक,
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है।
– अख़्तर होशियारपुरी

ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा,
दुनिया से हम ने क्या लिया दुनिया को क्या दिया।
– हफ़ीज़ मेरठी

गो आबले हैं पाँव में फिर भी ऐ रहरवो,
मंज़िल की जुस्तुजू है तो जारी रहे सफ़र।
– नूर क़ुरैशी

लकीरें खींचते रहने से बन गई तस्वीर,
कोई भी काम हो, बे-कार थोड़ी होता है।
– ख़ालिद मोईन

उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता,
जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें।
– अज्ञात

सैलाब-ए-ज़िंदगी के सहारे बढ़े चलो,
साहिल पे रहने वालों का नाम-ओ-निशाँ नहीं।
– बाक़र मेहदी

सारे पत्थर नहीं होते हैं मलामत का निशाँ,
वो भी पत्थर है जो मंज़िल का निशाँ देता है।
– परवेज़ अख़्तर

शुऊर’ सिर्फ़ इरादे से कुछ नहीं होता,
अमल है शर्त इरादे सभी के होते हैं।
– अनवर शऊर

ज़िंदगी नाम है इक जोहद-ए-मुसलसल का ‘फ़ना’,
राह-रौ और भी थक जाता है आराम के बा’द।
– फ़ना निज़ामी कानपुरी

कैफ़’ पैदा कर समुंदर की तरह,
वुसअतें ख़ामोशियाँ गहराइयाँ।
– कैफ़ भोपाली

किसी को बे-सबब शोहरत नहीं मिलती है ऐ ‘वाहिद’,
उन्हीं के नाम हैं दुनिया में जिन के काम अच्छे हैं।
– वाहिद प्रेमी

कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ,
धोना वही जो दिल की सियाही को धोइए।
– शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

शम्अ माशूक़ों को सिखलाती है तर्ज़-ए-आशिक़ी,
जल के परवाने से पहले बुझ के परवाने के बाद।
– जलील मानिकपूरी

तदबीर के दस्त-ए-रंगीं से तक़दीर दरख़्शाँ होती है,
क़ुदरत भी मदद फ़रमाती है जब कोशिश-ए-इंसाँ होती है।
– हफ़ीज़ बनारसी

मिरे नाख़ुदा न घबरा ये नज़र है अपनी अपनी,
तिरे सामने है तूफ़ाँ मिरे सामने किनारा।
– फ़ारूक़ बाँसपारी

मत बैठ आशियाँ में परों को समेट कर,
कर हौसला कुशादा फ़ज़ा में उड़ान का।
– महफूजुर्रहमान आदिल

आस्ताँ भी कोई मिल जाएगा ऐ ज़ौक-ए-नियाज़,
सर सलामत है तो सज्दा भी अदा हो जाएगा।
– जिगर बरेलवी

जादा जादा छोड़ जाओ अपनी यादों के नुक़ूश,
आने वाले कारवाँ के रहनुमा बन कर चलो।
– अज़ीज़ बघरवी

मुश्किल का सामना हो तो हिम्मत न हारिए,
हिम्मत है शर्त साहिब-ए-हिम्मत से क्या न हो।
– इम्दाद इमाम असर

हम बदलते हैं रुख़ हवाओं का,
आए दुनिया हमारे साथ चले।
– क़ाबिल अजमेरी

क़तरा न हो तो बहर न आए वजूद में,
पानी की एक बूँद समुंदर से कम नहीं।
– जुनैद हज़ीं लारी

कोई इक ज़ाइक़ा नहीं मिलता,
ग़म में शामिल ख़ुशी सी रहती है।
– ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

ख़ैर से रहता है रौशन नाम-ए-नेक,
हश्र तक जलता है नेकी का चराग़।
– ज़हीर देहलवी

मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने से,
शौक़ को तअल्लुक़ ही कब है पाँव थकने से।
– अदीब सहारनपुरी

तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक,
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतिज़ार में है।
– ताबिश मेहदी

लोग चुन लें जिस की तहरीरें हवालों के लिए,
ज़िंदगी की वो किताब-ए-मो’तबर हो जाइए।
– अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

तू मर्द-ए-मोमिन है अपनी मंज़िल को आसमानों पे देख नादाँ,
कि राह-ए-ज़ुल्मत में साथ देगा कोई चराग़-ए-अलील कब तक।
– एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी

काँटे बोने वाले सच-मुच तू भी कितना भोला है,
जैसे राही रुक जाएँगे तेरे काँटे बोने से।
– मुज़फ़्फ़र हनफ़ी

तमीज़-ए-ख़्वाब-ओ-हक़ीक़त है शर्त-ए-बेदारी,
ख़याल-ए-अज़्मत-ए-माज़ी को छोड़ हाल को देख।
– सिकंदर अली वज्द

मिज़ाज अलग सही हम दोनों क्यूँ अलग हों कि हैं,
सराब ओ आब में पोशीदा क़ुर्बतें क्या क्या।
– फ़ुज़ैल जाफ़री

खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा,
मिरे हाथों में दस्तक भर गई है।
– स्वप्निल तिवारी

किसू मशरब में और मज़हब में,
ज़ुल्म ऐ मेहरबाँ नहीं है दुरुस्त।
– शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मैं ने हर तख़रीब में देखी है इक ता’मीर भी,
मेरा मिट जाना भी है हिम्मत-फ़ज़ा मेरे लिए।
– सोज़ होशियारपूरी

वक्त से लड़कर और अपना नसीब खुद बदले,
इंसान वही है जो अपनी तकदीर बदल ले।

उलझनों से डरे नहीं, कोशिश करें बेहिसाब,
इसी का नाम है जिंदगी चलते रहिए जनाब।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।

जरा रूको तो रिझाने में वक्त लगता है,
बुरे दिनों को भुलाने में वक्त लगता है,
कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है,
यह वक्त है साहब, बदलता जरूर है।

बुरा वक्त तजुर्बा तो देता है,
मगर मासूमियत छिन लेता है।

कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबीअ’त से उछालो यारो।

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

जितना अधिक अभ्यास करोगे,
उतना ही चमकोगे।

मत खुद को रोक,
सही रास्ते पर चल,
मंज़िल खुद-ब-खुद तुम्हारे सामने आएगी।
बस कोशिश तो कर।

हमेशा अपनी नजरें उस पर रखो जिसे तुम पाना चाहते हो,
उस पर नहीं जिसे तुम खो चुके हो।

उम्र चाहे कितनी भी हो,
हौसला कभी थकने मत दो।

ठोकरें गिरा नहीं सकतीं,
अगर जिद हो जीतने की तो हार भी तुम्हें हरा नहीं सकती।

जितना देख सकते हो,
उतना बड़ा सपना देखो,
जितना सोच सकते हो,
उतना अच्छा सोचो।

जब लोग तुम्हारे खिलाफ बोलने लगें,
तो समझ लो कि तुम सफलता की राह पर आगे बढ़ रहे हो।

जितनी अच्छी आदतों को अपना सकते हो,
उतनी ही मेहनत से अपनी राह बनाओ।
फिर देखना, एक दिन सफलता तुम्हारी मुट्ठी में होगी।

हमेशा वहीं खड़े रहने का साहस रखो जहाँ से लोग पीछे हट जाते हैं।
जो बार-बार हार कर जीतता है,
उसका नाम इतिहास में दर्ज होता है।

हो सकता है कि तेरी कोशिशें नाकाम हों,
लेकिन हार मत मान,
क्योंकि वक्त बदलता है और मेहनत रंग लाती है।

आप परेशान मत होइए पापा,
रिश्तेदारों के ताने वक्त आने पर लौटाएंगे।
सफलता मिलने पर सबसे पहले मिठाई उन्हें ही खिलाएंगे।

सफलता एक दिन में नहीं मिलती,
लेकिन एक दिन जरूर मिलती है।

फिर से एक नई शुरुआत कर रहा हूँ,
इस बार दूसरों से ज्यादा खुद का ख्याल रखूँगा।

अपने लोगों को वक्त दो,
क्योंकि अगर किसी और ने वक्त दिया,
तो यकीन मानो, दूर हो जाओगे।

कोई क़ाबिल हो तो हम शान-ए-क़ाए दे देते हैं,
ढूँढने वालों को दुनिया भी नई दे देते हैं।

समय का पहिया घूमता रहता है,
यह बुरा वक्त भी गुजर जाएगा।
तूफ़ानी रात के बाद एक नया सवेरा आएगा।

जिंदगी तुम्हारे हाथ में है,
तुम्हें तय करना है कि इसे आगे बढ़ाना है या जहाँ हो वहीं रुक जाना है।

तब तक खुद पर मेहनत करो,
खुद को मजबूत बनाओ।
क्योंकि बुरा समय हमेशा के लिए नहीं होता,
मजबूत बनो और आगे बढ़ो।

मन में हमेशा जीत की आस रखो,
चाहे नसीब बदले या ना बदले,
लेकिन वक्त जरूर बदलेगा।

वक़्त अच्छा भी आएगा, नासिर,
ग़म ना कर, ज़िन्दगी पड़ी है अभी।

बात कोई नहीं मानता,
बात का बुरा मान जाते हैं लोग।

ज़िन्दगी की यही रीत है,
हार के बाद ही जीत है।

शाख से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आँधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।

शाखें रहेंगी तो फूल भी, पत्ते भी आएँगे,
ये दिन अगर बुरे हैं, तो अच्छे भी आएँगे।

सिर्फ सुकून देखिए,
ज़रूरतें कभी ख़त्म नहीं होतीं।

जिन राहों पर चल पड़े हो सफर की ओर, हौसला रखो तुम,
कभी आएंगे सहरा, तो कभी समंदर भी तुम।

मंजिल से आगे बढ़कर, मंजिल तलाश कर,
मिल जाए तुझको दरिया, तो समंदर तलाश कर।

हमको मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं,
हमसे ज़माना है, ज़माने से हम नहीं।

नहीं तेरा बसेरा क़सर-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर,
तू शाहीन है, बसा पहाड़ों की चट्टानों पर।

ख़ुद से प्यार करना सीखो,
लोगों का क्या,
आज तुम्हारे हैं,
कल किसी और के हो जाएँगे।

औक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में,
नज़र आती है उनको अपनी मंजिल आसमानों में।

जो यकीन की राह में चल पड़े,
उन्हें मंज़िलों ने पनाह दी।

ठोकरें खा के भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब,
वर्ना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया।

जीवन का सबसे बड़ा गुरू वक्त होता है,
क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सिखा पाता।

जब तक किसी काम को हम शुरू नहीं करते,
तब तक वह नामुमकिन ही लगता है।

उम्र को अगर हराना है तो शौक ज़िंदा रखिये,
घुटने चले या न चले, मन उड़ता परिंदा रखिये।

जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है,
जिसे लोग कहते हैं कि आप नहीं कर सकते।

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,
सहारे कितने भी सच्चे हो, एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं।

जो अपने आप को पढ़ सकता है,
वो दुनिया में कुछ भी सीख सकता है।

जीत का स्वाद चखने के लिए,
सबसे पहले हार का स्वाद चखना पड़ता है।

कामयाबी का असली मतलब,
खुद को बेहतर बनाना ही सच्ची कामयाबी है।

मैं अपना वक्त नहीं बर्बाद करता,
क्योंकि मेरा वक्त कीमती है।

हर मुश्किल का सामना हंसकर करो,
क्योंकि हंसने वाले की कभी हार नहीं होती।

कभी हार मत मानो,
क्योंकि आप नहीं जानते कि अगली कोशिश कितनी कामयाब हो सकती है।

अपने सपनों को साकार करने का सबसे अच्छा तरीका है,
जाग कर काम करना।

सफलता का यशस्वी भव तिलक लगाने के लिए,
मेहनत रूपी तपस्या करनी ही पड़ती है।

मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।

कामयाबी के सफर में धूप का बहुत महत्व है,
क्योंकि छांव मिलते ही कदम रुकने लगते हैं।

हर कोशिश में शायद सफलता नहीं मिल पाती,
लेकिन हर सफलता का कारण कोशिश ही होती है।

जो लोग जोखिम उठाने की हिम्मत रखते हैं,
वही असली विजेता होते हैं।

सपने देखने वालों के लिए रात छोटी होती है,
और उन्हें पूरा करने वालों के लिए दिन।

सपने वो नहीं जो हम सोने के बाद देखते हैं,
बल्कि वो जो हमें सोने नहीं देते।

हार मानने से पहले खुद से यह सवाल पूछें:
‘मैंने सब कुछ किया क्या?’

हर बड़ी उपलब्धि एक छोटे से कदम से शुरू होती है,
बस उसे उठाने का साहस होना चाहिए।

दूसरों से तुलना करने के बजाय,
खुद की तुलना अपने बीते हुए कल से करें।

ये जिंदगी हसीं है इससे प्यार करो,
अभी है रात तो सुबह का इंतजार करो,
वो पल भी आएगा जिसकी ख्वाहिश है आपको,
रब पर रखो भरोसा वक्त पर एतबार करो।

लक्ष्य को पाने के लिए यदि हम तन, मन और धन लगा देते हैं,
सच कहता हूं दोस्तों, कुंडली के सितारे भी अपनी जगह बदल देते हैं।

हवाओं के भरोसे मत उड़,
चट्टाने तूफानों का भी रुख मोड़ देती हैं,
अपने पंखों पर भरोसा रख,
हवाओं के भरोसे तो पतंगे उड़ा करती हैं।

बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,
टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से,
टूट जाए पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो।

बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता,
बिना कुछ किए जय जयकार नहीं होता,
जब तक नहीं पड़ती हथौड़े की चोट,
तब तक कोई पत्थर भगवान नहीं होता।

मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है?,
हौसला हो तो फासला क्या है।

वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे,
इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे।

काम करो ऐसा कि एक पहचान बन जाए,
हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए,
यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है,
जिंदगी जियो इस कदर कि मिसाल बन जाए।

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा!

आप का जज्बा अगर मजबूत हो,
तो फिर आप जहां भी जाएंगे रास्ता बनता जाएगा।

जीतेंगे हम ये वादा करो,
कोशिश हमेशा ज्यादा करो,
किस्मत भी रूठे पर हिम्मत ना टूटे,
मजबूत इतना इरादा करो!

हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते,
हर तकलीफ़ में ताकत की दवा देते हैं।

न पूछो कि मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है,
न हारुंगा हौसला उम्र भर,
ये मैंने खुद से वादा किया है।

सब कुछ मिल जाएगा तो तमन्ना किसकी करोगे,
अधूरी ख्वाहिशें ही तो जीने का मजा देती हैं!

ये जिंदगी हसीन है इससे प्यार करो,
अभी है रात तो सुबह का इंतजार करो।

आंधियों में भी जो जलता हुआ मिल जाएगा,
उस दिये से पूछना, मेरा पता मिल जाएगा।

सोचने से कहां मिलते हैं तमन्नाओं के शहर,
चलना भी जरुरी है मंजिल को पाने के लिए!

लक्ष्य को पाने के लिए यदि हम तन,
मन और धन लगा देते हैं, सच कहता हूं,
कुंडली के सितारे भी अपनी जगह बदल देते हैं।

अगर जिंदगी में सफलता पाना चाहते हो,
तो धैर्य को अपना सच्चा मित्र बना लो!

क्यूं डरें जिंदगी में क्या होगा,
कुछ न होगा तो तजुर्बा होगा!

ऊंचाई पर वही पहुंचते हैं,
जो बदलाव लाने की सोच रखते हैं!

चल यार एक नई शुरुआत करते हैं,
जो उम्मीद जमाने से की थी,
वो अब खुद से करते हैं!

बिना संघर्ष के कोई महान नहीं बनता,
पत्थर पर जबतक चोट ना पड़े,
तब तक पत्थर भी भगवान नहीं बनता!

कल क्या होगा कभी मत सोचो,
क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल ले।

कभी खुद से मिल कर देखो,
कभी खुद संग चल कर देखो,
ज़माने की भीड़ में किसकी तलाश करोगे तुम,
कभी तो खुद से मिल कर देखो।

अपने हौसले बुलंद कर, मंजिल बहुत करीब है,
बस आगे बढ़ता जा, यह मंजिल ही तेरा नसीब है।

जिंदगी बहुत हसीन है,
कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती है,
लेकिन जो जिंदगी की भीड़ में खुश रहता है,
जिंदगी उसी के आगे सिर झुकाती है।

मुश्किलों से कह दो उलझा न करें हम से,
हर हालात में जीने का हुनर आता है हमें।

होके मायूस ना आंगन से उखाड़ो ये पौधे,
धूप बरसी है यहां तो बारिश भी यही पर होगी!

वाकिफ कहां ज़माना हमारी उड़ान से,
वो और थे जो हार गए आसमान से।
आपकी उड़ान ऐसी है कि आप कभी हारेंगे नहीं,
ये बात सबको बता दीजिए।

भंवर से कैसे बच पाया किसी पतवार से पूछो,
हमारा हौसला पूछो तो फिर मझधार से पूछो!
हौसला मझधार जैसा ही होना चाहिए कि नहीं।

राह संघर्ष की जो चलता है, वही संसार को बदलता है,
जिसने रातों में जंग जीती है, सूर्य बनकर वही निकलता है!
संघर्ष हमेशा चलता रहेगा, लेकिन यही संघर्ष एक दिन दुनिया बदलता है।

तू रख यकीन बस अपने इरादों पर,
तेरी हार तेरे हौसलों से तो बड़ी नहीं होगी।
हौंसलों से बड़ी हार तो हो ही नहीं सकती है इसलिए हौंसले ऊंचे रखें।

जो यकीन के राह पर चल पड़े, उन्हें मंजिलों ने पनाह दी,
अगर खुद पर यकीन है तो मंजिल मिलना तो तय ही मानिए।

फर्क होता है खुदा और फकीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में,
अगर कुछ चाहो और न मिले
तो समझ लेना कि कुछ और अच्छा लिखा है तकदीर में!

हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं,
हमसे जमाना खुद है जमाने से हम नहीं!

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,
आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।

जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं!

वो लड़ेंगे क्या कि जो खुद पर फ़िदा हैं,
हम लड़ेंगे… हम खुदाओं से लड़े हैं।

उठो तो ऐसे उठो कि फक्र हो बुलंदी को,
झुको तो ऐसे झुको बंदगी भी नाज़ करे।
तब झुके जब जरूरत हो, जब उठो, जब जरूरी हो।

जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिए,
जीत के खातिर ऐसा जुनून चाहिए,
ये आसमान भी आएगा जमीन पर,
बस इरादों में ऐसी गूंज चाहिये!

जिंदगी जब जख्म पर दे जख्म तो हंसकर हमें,
आजमाइश की हदों को, आजमाना चाहिए।

मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह,
मैंने पत्थर की तरह खुद को तराशा है बहुत।

आए हो निभाने को जब, किरदार ज़मीं पर,
कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे।

संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
सफलता में दुनिया उसके साथ होती है,
जब-जब जग किसी पर हंसा है,
तब-तब उसी ने इतिहास रचा है।

अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फैसला,
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा।
कहने को लफ्ज दो हैं उम्मीद और हसरत,
लेकिन इसी में दुनिया की दास्तां है।

दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत,
यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है।

मंजिल मिले न मिले, ये तो मुकद्दर की बात है,
हम कोशिश ही न करें ये तो गलत बात है।

कुछ नहीं मिलता दुनिया में मेहनत के बगैर,
मेरा अपना साया भी धूप में आने से मिल।

इन्हीं गम की घटाओं से खुशी का चांद निकलेगा,
अंधेरी रात के पर्दों में दिन की रोशनी भी है।

हर मील के पत्थर पर लिख दो यह इबारत,
मंजिल नहीं मिलती नाकाम इरादों से।

यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूं,
धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।

कल यही ख्वाब हकीकत में बदल जाएंगे,
आज जो ख्वाब फकत ख्वाब नजर आते हैं।

चलो चांद का किरदार अपना लें हम दोस्तों,
दाग अपने पास रखें और रोशनी बांट दें।

जब पढ़ते-पढ़ते रातें छोटी लगें,
तो समझ लेना जीत का जुनून, सर पर सवार है!

राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है,
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है।

डर मुझे भी लगा फासला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर।

मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में,
तू जरा हिम्मत तो कर,
ख्वाब बदलेंगे हकीकत में,
तू ज़रा कोशिश तो कर।

यहां जिंदगी तो हर कोई काट लेता है,
जिंदगी जियो इस कदर कि मिसाल बन जाए।

जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते,
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंजिल अपनी दोस्तों,
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।

जिस दिन आपने ये सीख लिया की सीखते कैसे है,
फिर आप कुछ भी जीत सकते है।

अकेले चलने का साहस रखो जनाब,
कामयाबी एक दिन आपके कदमों में होगी!

अगर पाना है मंजिल तो अपना रहनुमा खुद बनो,
वो अक्सर भटक जाते हैं, जिन्हें सहारा मिल जाता है।

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।

तुम्हारी कमजोरी ये है की तुम कामयाबी सोच रहे हो,
गर मेहनत करते तो कामयाबी कब की मिल गई होती।

नियति के बंधन में सब पड़े हैं,
तू खुद में मिल और सफलता को जड़ता में बदल दे,
इतना ही अब चाहे दिल।

जिन्हें अपने आप पर भरोसा होता है,
उनका मुकाबला बस अपने आप के साथ होता है।

सफल इंसान अपने साथ चलता है,
और असफल इंसान किसी और के इशारे पर चलता है।

क्या हुआ अभी जो वक्त साथ नहीं,
वक्त आएगा और सिर्फ़ आएगा ही नहीं धूम धाम से आएगा।

हौसलों पर अपने जो ऐतबार करते हैं,
उन्हें मंज़िलें खुद पते बताती हैं, रास्ते इंतज़ार करते हैं।

हवाओं को पता था मैं ज़रा मजबूत टहनी हूं,
यही सच आंधियों ने अब हवाओं को बताया है।

इस गफ़लत में मत रहना कि मेरे गुरुर को तोड़ दोगे,
गर ये सोच भी लिया तो तुम्हारा वजूद मिट जाएगा।

आंधियां सदा चलती नहीं, मुश्किलें सदा रहती नहीं,
मिलेगी तुझे मंजिल तेरी, बस तू ज़रा कोशिश तो कर।

सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो, जिन्हें छत तक जाना हो,
हमारी मंजिल तो आसमान है, और रास्ता हमें खुद बनाना है!

हौसला गर है तो डर किस बात का,
ये मंजिल क्या सारी दुनिया तुम्हारे घुटने टेक देगी।

अगर तुम चलने के लिए तैयार हो,
तो मंजिल तुम्हारे सामने झुकने के लिए तैयार हो जायेगी।

अगर मेहनत आदत बन जाती है,
तो सफलता मुक़द्दर बन जाती है।

बदल जाओ वक़्त के साथ, या वक़्त बदलना सीख लो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीख लो।

कागज़ को तुम पंख समझते हो, मेरे रंग को बेरंग समझते हो,
थोड़ा वक्त लो और संभल जाओ, जिसे लोग तूफ़ान कहते हैं उसे तुम हवा का झोखा समझते हो।

जुनून है कि सारी हदे पार करके अपना मुकाम हासिल करना है,
और अपनों के लिए खुद की जवानी कुर्बान करनी है।

थक कर ना बैठ ऐ-मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।

ज़मीन को देख सको बस उतनी ही उड़ान भरना,
वरना तुम्हारी उड़ान का कोई फ़ायदा नहीं होगा!

थोड़ा धीरज रख, थोड़ा ज़ोर लगाता रह,
किस्मत के जंग लगे दरवाज़े को खुलने में वक़्त लगता है।

हौसले के तरकश में, कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख,
हार जा चाहे ज़िन्दगी में सब कुछ मगर फिर से जीतने की उम्मीद ज़िंदा रख।

ज़िन्दगी में मुश्किलें आती है और इंसान ज़िंदा रहने से घबराता है।
ना जाने कैसे हज़ारों काटों के बीच रह कर, एक फूल मुस्कुराता है।

रख हौसला वो मंजर भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आएगा,
थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर,
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।

हम ज़्यादा मेहनत करेंगे तभी कुछ होगा,
कुछ ही मेहनत करेंगे तो कुछ नहीं होगा।

जो हो गया उसे सोचा नहीं करते,
जो मिल गया उसे खोया नहीं करते।
हासिल उन्हें होती है सफलता,
जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते।

कुछ पाने की आस तो रख,
कुछ तो अरमान रख जो हो खास,
हर कोशिश में करे दरिया तू आर पार।

गर मेरी खुद्दारी देखोगे तो सह नहीं पाओगे,
इसमें ऐसा पागलपन है कि गर देखोगे इसे तो जल जाओगे!

हीरे की काबिलियत रखते हो, तो अंधेरे में चमका करो,
रोशनी में तो कांच भी चमका करते है।

दो पल ज़िंदगी का मेहनत करके गुजार लो,
ज़िंदगी बड़ा सुकून देगी।

क्या सच है इस जग का उजाला बनना या अंधेरा चुनना,
मुझे है हासिल करना अब नही है कुछ सुनना।

रख हौसला वो मंज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समुन्दर भी आएगा।
अभी मुठ्ठी नहीं खोली है मैंने आसमां सुन ले,
तेरा बस वक़्त आया है मेरा तो दौर आएगा,
मुश्किलों से डरें नहीं बल्कि आगे बढ़ते रहें।

छू ले आसमान ज़मीं की तलाश न कर,
जी ले जिंदगी ख़ुशी की तलाश न कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश न कर।

अपने खिलाफ बातें ख़ामोशी से सुनो,
यकीन मानों वक़्त बेहतरीन जवाब देगा।

तू खुद में एक चिंगारी नहीं, एक ज्वाला है,
बस ये बात तुझे खुद को बतानी है।

अगर ज़िंदगी में कभी कुछ खो भी जाए,
बस कभी खुद को मत खो देना।

वक़्त जैसा भी हो अच्छा या बुरा,
बदलता ज़रूर है।

जीत गर मेहनत की हो तो पूरी कायनात जश्न मनाती है,
और यूंहीं नहीं मंजर मिल जाते,
मंजिल पाने को रातों की नींदे गवानी पड़ती हैं!

सब के अच्छे नसीब नहीं होते,
कुछ लोग मेहनत करके अपना नसीब अच्छा बनाते हैं।

क़दमों को बांध न पाएगी मुसीबत की जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो अभी भटका नहीं हूं मैं।

ज़िंदा रहना है तो हालात से डरना कैसा,
जंग लाज़िम हो तो लश्कर नहीं देखे जाते।

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name प्रेरक शायरी ऑनलाइन पढ़े | Motivational Shayari PDF Download
CategoryBest Shayari PDF Books in Hindi
Language
Pages 41
Quality Good
Size 362 KB
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“आपका कोई भी काम महत्त्वहीन हो सकता है, किंतु महत्त्वपूर्ण तो यह है कि आप कुछ करें।” ‐ महात्मा गांधी
“Almost everything you do will seem insignificant, but it is important that you do it.” ‐ Mahatma Gandhi

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